नई दिल्ली:- वर्तमान समय में मौसम में तापक्रम के उता-चढ़ाव एवं लम्बे समय तक बादल रहने अर्थात् धूप न निकलने से रबी फसलों में फली भेदक इल्ली, उकटा, सूखा सड़न एवं कॉलर रॉट की समस्या देखी जा रही है। ऐसे में कृषि विशेषज्ञों ने किसानों के लिए आवश्यक सलाह जारी की है। बंपर उत्पादन के लिए किसानों को किट एवं रोग के नियंत्रण के बारे में आवश्यक जान लेना चाहिए, जानें आर्टिकल में पूरी जानकारी..
चने की इल्ली से नुकसान एवं बचाव के तरीके
चने की इल्ली शुरू में पौधों की पत्तियों को खा कर पौधों की बढ़वा एवं शाखाएं फूटने को प्रभावित करती है। उसके बाद फली अवस्था में फली में छेदकर दाने खाती है जिससे फसल उत्पादन काफी कम हो जाता है, इसके नियंत्रण हेतु फसल में लकड़ी की ‘टी’ आकार की 3 फुट ऊँची 50 खूटियाँ / हेक्टेयर लगायें। जिस पर कीट भक्षी पक्षी बैठकर पौधों से इल्लियाँ खाती रहती है।
जिससे खेतों में इल्लियों की संख्या कम हो जाती है इसी प्रकार चने की फसल में फेरोमोन प्रपंच लगायें। इसके माध्यम से प्रौढ़ नर कीटों को आकर्षित नर नष्ट Rabi crop Disease Control किया जा सकता है और खेतों की मेड़ों के किनारे 125 वॉट का मरकरी बल्ब लगाकर शाम 6-8 बजे तक प्रकाश प्रपंच यंत्र के माध्यम से प्रौढ़ कीटों को आकर्षित कर नष्ट किया जा सकता ह
अंत में कीट की समस्या ज्यादा दिखने पर रासायनिक दवा इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एम. जी. 220 ग्राम / 500 लीटर पानी / हेक्टेयर या स्पाईनोसेड 73 ए. आई. या प्रोफेनोफॉस 100 ए.आई. 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
चने में उकटा रोग नियंत्रण
उकटा रोग के लक्षण पौधों में बुवाई के 30 दिन से फली लगने तक देखे जा सकते हैं संक्रमित पौधा मुरझाकर सूख जाता है। इसके प्रबंधन के लिए संक्रमित पौधों को खेत से निकाल दें।
फसल के अवशेषों को जला दें और गर्मी के मई माह में खेत की गहरी जुताई करें, रोग प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई करें जिस खेत में यह रोग Rabi crop Disease Control आ रहा है वहां 3 वर्ष तक चना की बुवाई नहीं करें और कड़ी फसल में स्यूडोमोनास फ्लोरोसिस 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
चने में कॉलर रॉट रोग नियंत्रण
दूसरी बीमारी स्तंभ मूल संधि विगलन रोग आ रहा है। इस रोग के लक्षण पौधों का पीला होना था आसानी से पौधों का फसल-उखड़ना पौधे के तने के सड़े भाग से जड़ तक सफ़ेद फफूंद एवं काक के जाल पर राई के डेन के आकार के फफूंद के बीजाणु दिखाई देते है।
इसके प्रबंधन हेतु खेत में ज्यादा नमी नहीं हो, रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन एवं फफूंदनाशक दवा से बीज उपचार कर बुवाई करें और कड़ी फसल में स्यूडोमोनास फ्लोरोसिस 2 लीटर प्रति एकड़ Rabi crop Disease Control की दर से छिड़काव करें ।
गेहूं में फ्लैग स्मट का नियंत्रण
गेहूं में फ्लैग स्मट एक महत्वपूर्ण रोग है, हालांकि जो किसान बीज उपचार का नियमित उपयोग करते हैं और गेहूँ की प्रतिरोधी किस्मों या हर वर्ष नए बीजों का उपयोग करते हैं। उसमें यह रोग उनके खेत में प्रभावी ढंग से नियंत्रित रहता है। फ्लैग स्मट अन्य अनाज स्मट रोगों से भिन्न होता है क्योंकि इसमें रोग के लक्षण बालियों की जगह पत्तियों में दिखाई देते हैं। फ्लैग स्मट से उपज में 5-20 प्रतिशत तक हानि हो सकती है।
वैज्ञानिक ने किसानों को फ्लैग स्मट के लक्षण के बारे में बताया कि रोग के लक्षण पत्तियों, पत्ती आवरण, शाखाओं और कभी-कभी तने पर भी दिखाई देते है फ्लैग स्मट की जो विशेषता लम्बी, उभरी हुई काली धारियां Rabi crop Disease Control होती है जो पौधों के ऊतकों को तोड़ती है और भूरे – काले बीजाणुओं के समूह को प्रकट कराती है पौधे बोने हो सकते हैं, पत्तियां मुड़ी हुई और विकृत धब्बे दिखने लगती हैं सभी तने में लक्षण प्रदर्शित नहीं होते हैं
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संक्रमित तनों में आम तौर पर अनाज उत्पादन नहीं होता है फ्लैग स्मट बीज और मिट्टी के द्वारा फैलता है और इसके बीजाणु मिट्टी में सात वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। कटाई के दौरान रोग बीजाणु Rabi crop Disease Control निकलते हैं जो अनाज और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं दूषित अनाज की बीजाणु उभरने से पहले अंकुरों को संक्रमित कर देते हैं यह प्रक्रिया गर्म तापमान और सूखी बुवाई रोगाणु के लिए अनुकूल होती है। इसके प्रबंधन के लिए टेबुकोनाजोल 1 मी.ली./लीटर पानी की मात्रा का छिड़काव पौधों में फ्लैग स्मट के प्रकोप का नियंत्रण करता है।