बिलासपुर/ जगदलपुर– महुआ से अब लड्डू भी बनाया जाने लगा है। नवाचार का नया आयाम तय कर रही बस्तर फूड कंसलटेंसी सर्विसेस की यह नई खोज कुपोषण मुक्त बस्तर अभियान में तब मजबूत सहारा बनी जब महुआ लड्डू के नियमित सेवन के बाद बच्चों को चिकित्सकीय जांच में पूरी तरह स्वस्थ पाया गया।
महुआ केवल मादक पेय नहीं है। इसके उपयोग का तरीका यदि सही हो तो इसकी मदद से कई तरह की स्वास्थ्यगत समस्याएं दूर की जा सकती हैं। ऐसी सोच रखने वाली महिला उद्यमी रजिया शेख का कहना है कि जंगलों और उनसे मिलने वाले वनोपज में कई तरह के मिनरल्स होते हैं लेकिन महुआ में जिस मिनरल्स के होने की जानकारी मिली है, उसके बाद इसी को कुपोषण मुक्त बस्तर के लिए प्रमुख साधन बनाया गया। इसके अलावा इस अभियान से ऐसे लोगों का जुड़ाव हुआ, जिनके दम पर आज शराब के लिए बदनाम महुआ की छवि तोड़ी जा चुकी है। जगह ले रही है, ऐसी खाद्य सामग्री, जिसका सेवन कई तरह से लाभदायक माना जा रहा है।
विटामिन और मिनरल्स
महुआ में विटामिन ए ,विटामिन सी की अधिकता होने के कारण यह आंखों की रोशनी और त्वचा रोग में असरकारी है। आयरन की प्रचुरता की वजह से यह खून की मात्रा बढ़ाने के साथ ही उर्जा भी बढ़ाता है और मानसिक तनाव, हृदय की बीमारी को कम करता है। फलों में प्रोटीन ,कार्बोहाइड्रेट, और मैग्नीशियम, जिंक ,कॉपर भी है जो बढ़ते बच्चों के लिए आवश्यक है। एनीमिक महिलाओं और कुपोषित बच्चों के लिए तो यह वरदान है।
ऐसे बनता है लड्डू
सबसे पहले महुआ को पानी में भिगाया जाता है। इसके बाद फिर से सुखा कर घी में तला जाता है। तले हुए महुआ में सूखे मेवे ,सौंफ, इलायची व गुड़ मिलाकर ओखली में कूटा जाता है। इसके बाद इससे लड्डू बनाया जाता है। बस्तर फूड कंसलटेंसी सर्विसेज ने बढ़ती मांग को देखते हुए अब काम का विभाजन कर दिया है। इसमें उत्पादन, निर्माण ,पैकेजिंग और मार्केटिंग जैसे हर काम महिलाएं ही बखूबी कर रहीं हैं।
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रजिया शेख बतातीं हैं कि महुआ में मिनरल्स और विटामिन की प्रचुर मात्रा है। इसकी मदद से कुपोषण और एनीमिक जैसी स्वास्थ्यगत परेशानियां दूर की जा सकती हैं। इन तत्वों को देखते हुए महुआ का लड्डू बनाने का काम चालू किया। बस्तर की महिलाओं की मदद से बने यह लड्डू आज जम्मू कश्मीर, राजस्थान, बिहार, झारखंड में पहचान बना चुके हैं। अब इसे अमेजन के जरिए देश के हर राज्य के उपभोक्ता घर पर ही हासिल कर सकते है।
महुआ में 9 औषधीय तत्वों के होने की जानकारी मिलने के बाद इससे लड्डू ,बिस्किट और चॉकलेट बनाए जा सकते हैं। इनकी मदद से कुपोषण को दूर किया जा सकेगा और एनीमिक महिलाओं की समस्या भी दूर की जा सकती है। 1 किलो महुआ से 35 लड्डू बनाए जा सकते हैं।
- डॉ अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट, फॉरेस्ट्री, टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर