मास्क ढाई से तीन लाख नग हर रोज। फेस मास्क 1500 से 2000 प्रतिदिन। महीनों बाद करोना से बचाव के लिए सबसे ज्यादा भरोसेमंद इस साधन की मांग जैसी बढ़ी है, उसके बाद सदियों से चली आ रही कहावत फिर से प्रमाणित होती नजर आ रही है कि घी सीधी उंगली से नहीं, बल्कि टेढ़ी उंगली से निकलता है।
जी हां! कोई पखवाड़े भर पहले तक हजार के आंकड़े पर चल रहा मास्क, एक बार फिर से लाख पर पहुंच चुका है। सुखद बदलाव यह कि पहली बार फेस शील्ड मास्क की बिक्री भी छलांग लगाकर 1500 से 2000 नग हर रोज पर हो रही है। मास्क के यह दोनों किस्म जिस तरह मांग में फिर से लौट चुके हैं उसके बाद दिल्ली से सप्लाई लाइन फिर से चालू हो चुकी है तो खाली बैठी स्थानीय इकाइयों में उत्पादन जोर पकड़ चुका है।

इसलिए लंबी छलांग
संक्रमण की बढ़ती संख्या के बाद सख्ती से निपटने के आदेश और बगैर मास्क घूमते मिलने पर अर्थदंड की राशि सीधे 500 रुपए करने से सुस्त मास्क के बाजार में चुस्ती आ चुकी है। सख्ती और चालान के मामले लगभग सभी जिलों में बढ़ने के साथ मास्क की मांग और खरीदी भी बढ़ी है। चालान या अर्थदंड से बचने के लिए ही सही, मास्क तेजी से हर चेहरे पर नजर आता दिखाई देता है।

यह भी बड़ी वजह
वैक्सीन आने के बाद खत्म होता भय, संक्रमण और मौत के बाद, मन के किसी कोने में अपनी मजबूत पैठ बनाता दिखाई दे रहा है। फलस्वरुप मास्क की सभी किस्में मांग में आ चुकी है। घरेलू स्तर पर काम कर रही इकाइयां उत्पादन बढ़ाने में लग चुकी हैं तो बाहरी राज्यों से भी आपूर्ति की जाने लगी है। ऐसे में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बराबर बना हुआ है। इसमें कहीं कोई त्रुटि ना हो, बाजार इस पर पूरा ध्यान दे रहा है।
हर रोज ढाई से तीन लाख
प्रदेश में बीते 1 सप्ताह से मांग में आ रही उछाल के बाद इस समय साधारण कपड़ों से बने और बाहर से आ रहे मास्क की रोज ढाई से तीन लाख नग की खरीदी-बिक्री हो रही है। 2 से 5 रुपए प्रति नग पर मिल रहे ऐसे मास्क के अलावा फेस मास्क भी मांग में आ चुके हैं। 100 से 400 रुपए प्रतिनग की दर पर उपलब्ध ऐसे मास्क की बिक्री प्रतिदिन 1500 से 2000 नग होने की खबर आ रही है।
राज्य औषधि विक्रेता संघ, रायपुर के सचिव अविनाश अग्रवाल ने बताया कि यह सही है कि मास्क की बिक्री बढ़ी है। सप्लाई लाइन चुस्त है। एक बात अवश्य ध्यान में रखें कि आप अपने परिवार की धरोहर हैं। इसलिए सुरक्षा के उपाय का पालन अनिवार्य रूप से करें।