कोरबा :- कोरबा मेडिकल कॉलेज में एमएस डॉ. गोपाल कंवर का तानाशाही और भ्रष्टाचार का साम्राज्य इस कदर हावी है कि यहां नियम-कायदे, भंडार क्रय नियम और सरकारी गाइडलाइन सिर्फ दिखावे भर रह गई है। एमएस साहब की चहेती फर्मों के लिए नियम तोड़ना, टेंडर बाईपास कर काम देना, और उसी मेंटेनेंस इंचार्ज व स्टोरकीपर की मिलीभगत से फर्जी बिल पास कराना अब रूटीन बन गया है।
यहां मेंटेनेंस इंचार्ज की भूमिका भी बराबर है। वार्डों, ओटी, जनरेटर शेड, स्टोर — हर जगह रिपेयरिंग, फिटिंग, शिफ्टिंग, खिड़की, दरवाज़े और परदे के नाम पर मरम्मत के बिलों का खेल।
28 फरवरी 2025 — एक ही दिन में 20 वर्क ऑर्डर
28 फरवरी 2025 को एमएस गोपाल कंवर ने अपने सबसे भरोसेमंद ठेकेदार फ्रेंड एजेंसी, खरमोरा को 20 वर्क ऑर्डर जारी कर दिए। नियम के मुताबिक 3 लाख से ज़्यादा के काम के लिए टेंडर अनिवार्य है। लेकिन घोटाले के खेल में 20 वर्क ऑर्डर अलग-अलग करके फाइल चलाई गई।
काम सब एक ही प्रवृत्ति का — फर्नीचर रिपेयरिंग, फिटिंग, शेड, जाली, पर्दा पाइप फिटिंग। बिलिंग कराई गई बाजार रेट से तीन गुना, ताकि साहब का हिस्सा और मेंटेनेंस इंचार्ज का कमीशन आराम से सेट हो सके।
मेंटेनेंस इंचार्ज भी बराबर जिम्मेदार
वही मेंटेनेंस इंचार्ज जो ये सारा मेंटेनेंस देखकर भी आंख मूंदे रहा। जिनके साइन के बिना बिल पास नहीं हो सकता — उसी ने सब क्लियर किया। मरम्मत और नए सामान की खरीदी का तानाबाना उसी ने एमएस के कहने पर बुना।
नियम ताक पर — टेंडर नहीं, एक्सटेंशन फर्जी
स्टोरकीपर मनीष सिंह को टेंडर खत्म होने का होश नहीं। मेंटेनेंस इंचार्ज ने आंख मूंदकर बिल पास किए। एमएस साहब ने एक्सटेंशन फाइल चलाकर सेटिंग का खेल किया।
पुरानी मरम्मत के बावजूद दोबारा खरीदी क्यों
जून-जुलाई 2024 में लाखों का मरम्मत बिल, जनवरी-फरवरी 2025 में वही समान फिर खरीदा गया। या तो पहली मरम्मत फर्जी थी, या अब खरीदी घोटाला। दोनों में सेटिंगबाज़ी और कमीशनखोरी साफ।
कोरबा मेडिकल कॉलेज में गोपाल कंवर और मेंटेनेंस इंचार्ज की मिलीभगत से गोरखधंधा चरम पर। अस्पताल में मरीज खस्ताहाल, वार्ड जर्जर, और अधिकारी मजे में कमीशन।