मध्यप्रदेश:– आज के समय में कार सिर्फ एक साधन नहीं, बल्कि हर परिवार की जरूरत बन चुकी है. रोजाना लाखों लोग अपने ऑफिस, घर या यात्रा के लिए कार का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन कई बार लोग जल्दबाजी या लापरवाही में अपनी गाड़ी की देखभाल को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे कार की उम्र कम हो जाती है. खासतौर पर ओवरलोडिंग यानी गाड़ी में जरूरत से ज़्यादा सामान या यात्रियों को बैठाना, गाड़ी के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है.
इंजन पर पड़ता है सबसे ज्यादा असर
जब आप कार में उसकी क्षमता से ज़्यादा वजन डालते हैं, तो सबसे पहला असर इंजन पर पड़ता है. इंजन को उतनी ही ताकत से चलने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे उसके पार्ट्स जल्दी घिसने लगते हैं. अगर लंबे समय तक ओवरलोडिंग की जाती है, तो इंजन ओवरहीट हो सकता है या कई मामलों में सीज भी हो जाता है. इसका सीधा मतलब है, भारी रिपेयरिंग खर्च और कार की लाइफ में कमी.
ब्रेकिंग सिस्टम हो जाता है कमजोर
गाड़ी के ब्रेक्स को एक निश्चित लोड के हिसाब से डिजाइन किया जाता है. अगर गाड़ी में ज़्यादा वजन होता है, तो ब्रेक्स पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है. इससे ब्रेक जल्दी घिसते हैं और अचानक ब्रेक लगाने पर गाड़ी रुकने में ज्यादा समय लेती है. यह स्थिति सड़क पर खतरनाक साबित हो सकती है, खासकर हाईवे पर चलते समय.
सस्पेंशन भी जल्दी देता है जवाब
कार का सस्पेंशन सिस्टम वाहन को झटकों से बचाता है और सफर को आरामदायक बनाता है. लेकिन ओवरलोडिंग से सस्पेंशन पर लगातार प्रेशर बढ़ता है. इससे स्प्रिंग्स और शॉक एब्जॉर्बर जल्दी खराब हो जाते हैं. कई बार तो गाड़ी के नीचे से आवाज़ आने लगती है और चलाने में झटके महसूस होते हैं.
ईंधन की खपत भी बढ़ जाती है
जितना ज्यादा वजन, उतनी ज्यादा इंजन की मेहनत, और इसका असर सीधे माइलेज पर पड़ता है. ओवरलोडिंग के कारण कार का फ्यूल एफिशिएंसी घट जाती है. यानी पेट्रोल या डीजल की खपत बढ़ जाती है. नतीजतन, आपकी जेब पर भी बोझ बढ़ता है.
मेंटेनेंस का खर्च बढ़ाता है ओवरलोडिंग
अगर आप बार-बार कार को ज्यादा लोड में चलाते हैं, तो गाड़ी के पार्ट्स जल्दी खराब होते हैं. इससे रिपेयर और सर्विसिंग पर खर्च बढ़ जाता है. कई बार टायर, सस्पेंशन, ब्रेक पैड और इंजन पार्ट्स को जल्दी बदलना पड़ता है, जिससे मेंटेनेंस की लागत कई गुना बढ़ जाती है।