बिलासपुर/ कंपनी सेफ्टी पर टैक्स के पैसे खर्च नहीं करती और न ही सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों को हटाती हैं। इससे आए दिन हादसे हो रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों पर कहीं भी क्रेन की व्यवस्था नहीं है। वहीं कंपनी के कर्मचारी सड़कों पर गश्त भी नहीं करते। टोल टैक्स शुरू करने से पहले हाइवे पर पेट्रोलिंग और हर 10 किलोमीटर पर क्रेन का इंतजाम करने की शर्तें होती हैं। इसी तरह खराब गाड़ियों को उचित स्थान पर पहुंचाने का भी नियम है पर ऐसा कहीं नहीं हो रहा है।
इधर, दुर्घटना होने पर पुलिस रसूख और दबंगई की वजह से टोल टैक्स प्रबंधन को पार्टी भी नहीं बनाती। ड्राइविंग के समय नींद, ओवर स्पीड, नशा, रांग साइड गाड़ी चलाना हादसे की बड़ी वजह हैं। इसी तरह हाइवे पर खड़े होने वाहन भी लोगों की जिंदगी पर ब्रेक लगा रहे हैं। बिलासपुर में रायपुर, मस्तूरी से जांजगीर व बिलासपुर से कटघोरा नेशनल हाइवे पर कई ऐसी जगह हैं, जहां सड़क किनारे खड़े वाहन अक्सर मिल जाते हैं। दूर से ये नहीं पता चल पाता है कि वाहन चल रहा है कि रुका है। जब तक आगे वाले वाहन के करीब पीछे की गाड़ी पहुंचती है, तब तक देर हो चुकी होती है। आरटीओ या प्रशासन की तरफ ने ऐसे हादसों को रोकने के लिए कोई पहल नहीं की जाती है।
कमजोर कानून का फायदा दोषी उठा रहे अधिवक्ता संदीप शुक्ला के मुताबिक इस तरह के हादसों में 279 और 304 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इन मामलों में थाने से ही खड़े-खड़े जमानत हो जाती है। इस वजह से हादसों को अंजाम देने वालों को डर नहीं रहता। वहीं रसूख और दबंगई की वजह से लोग टोल टैक्स प्रबंधन को पार्टी नहीं बनाते हैं। हालांकि हाइवे पर वाहन खड़ा करना लापरवाही की श्रेणी में आता है।
ये है एक्सीडेंट पाइंट 1. मस्तूरी जांजगीर- चांपा रोड पर, दर्रीघाट, मस्तूरी बाइपास, अकलतरा टोल प्लाजा, अकलतरा चौक 2. बिलासपुर- रायपुर मार्ग पर- तिफरा नया बस स्टैंड, परसदा में कार शोरूम के सामने, होटल व ढाबों के सामने 3. बिलासपुर – कटघोरा मार्ग पर भरारी, रतनपुर बाइपास, बगदेवा, पाली देवरीखुर्द स्थित वेयर हाउस में गाड़ियों में विभिन्न राइस मिलों से चावल आता है। यहां एक दिन में 20 गाड़ियां ही खाली होती हैं। इस दौरान बाकी गाड़ियां सड़क के किनारे खड़ी रहती हंै।
वेयर हाउस में जगह नहीं होने के कारण बाकी ट्रकों को लालखदान ओवरब्रिज के पास सड़क किनारे खड़ा किया जाता है, जिससे हमेशा हादसे का खतरा बना रहता है। ऐसा कई दिनों से चल रहा है। एनएच दो साल के भीतर हुए सड़क हादसों के आंकड़े क्या करना चाहिए वाहन खड़े होने से 10 मीटर पहले रेडियम पट्टी वाला इंडिकेटर लगाना चाहिए। अगर रेडियम न हो तो आग जलाने का इंतजाम करना चाहिए। वाहन खराब होने की जानकारी टोल टैक्स कर्मी, स्थानीय पुलिस या 112 नंबर पर देनी चाहिए। नियम के मुताबिक एक्सप्रेस वे या हाइवे पर वाहन रोकना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
नेशनल हाइवे पर 20 मिनट से ज्यादा वाहन रोकना गैरकानूनी है। दो साल में 622 हादसे और 383 की मौत दो साल में 622 हादसे और 383 मौत हुई। 2021 में 238 हादसे और 123 की मौत हुई। 2022 में 384 हादसों में 260 मौतें हुईं। शर्तों का पालन नहीं कर रहे, जिम्मेदारी भी नहीं निभा रहे मुख्य रूप से तो इन हादसों के लिए टोल टैक्स कंपनियां जिम्मेदार हैं। टोल पर जिस टैक्स की वसूली की जाती है। उसमें पैसेंजर सेफ्टी टैक्स भी जुड़ा होता है। इनकी जिम्मेदारी होती है कि हाइवे पर लगातार गश्त करें और खड़े वाहनों को हटवाएं।
टोल टैक्स शुरू होने के पहले हाइवे पेट्रोलिंग और हर 10 किलोमीटर पर एक क्रेन का इंतजाम करने की शर्त भी होती है। पेट्रोलिंग को दौरान वाहन में मौजूद कर्मचारी क्रेन में तैनात कर्मी को जानकारी देंगे और खराब वाहन को उचित स्थान पर पहुंचाया जाएगा।