मुंबई, 8 दिसंबर। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में तीन साल से जेल में बंद अधिवक्ता-सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को बुधवार को रिहा किया जा रहा है।
गौरतलब है कि उन्हें पहले बॉम्बे उच्च न्यायालय ने डिफॉल्ट जमानत दे दी थी, जिसका राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने विरोध किया था। उच्च न्यायालय के फैसले को एनआईए ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और उच्चतम न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका पर बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था।
सुश्री भारद्वाज की रिहाई पर फैसला सुनाते वक्त विशेष न्यायाधीश डी ई कोठालिकर ने उन्हें अदालत के अधिकार क्षेत्र में रहने और बिना अनुमति के मुंबई छोड़कर नहीं जाने का निर्देश दिया।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक दिसंबर को सुश्री भारद्वाज की डिफॉल्ट जमानत की याचिका को स्वीकार कर लिया था। न्यायालय ने हालांकि एनआईए की विशेष अदालत को उनकी जमानत की शर्तों और रिहाई की तारीख पर फैसला करने का निर्देश दिया था।
सुश्री भारद्वाज को अगस्त, 2018 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अपील को खारिज कर दिया।
सुश्री भारद्वाज मामले में गिरफ्तार किए गए 16 कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों में से पहली हैं जिन्हें डिफ़ॉल्ट जमानत दी गई है।
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