वाराणसी विशेष संवाददाता की रिपोर्ट: – बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के केएन उड्डप्पा ऑडिटोरियम में आयोजित भव्य सम्मान समारोह में निर्मल कुमार अवस्थी को प्रतिष्ठित “विश्व अनमोल रत्न सम्मान” से अलंकृत किया गया यह सम्मान “अर्जुन परिवर्तन योगेश” संस्था द्वारा प्रदान किया गया जो राष्ट्र, संस्कृति और समाज के कल्याण के लिए समर्पित एक राष्ट्रीय संगठन है।
परंपरागत ज्ञान के वैज्ञानिक स्वरूप को दे रहे नई दिशा
निर्मल अवस्थी भारत की वनस्पति जीव विविधता लोक स्वस्थ परंपरा और पारंपरिक औषधीय ज्ञान के संवाहक के रूप में निरंतर कार्यरत हैं।पारंपरिक लोक स्वास्थ्य, वनस्पति जैव विविधता प्रबंधन और भारत की आयुर्वेदिक एवं लोक चिकित्सा परंपरा के संवाहक के रूप में पहचाने जाते हैं।वे वर्तमान में झारखंड राज्य के दुर्लभ औषधीय पौधों की पहचान और दस्तावेजीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
विज्ञान से जोड़ रहे हैं स्वदेशी चिकित्सा और लोक स्वास्थ्य
निर्मल अवस्थी परंपरागत ज्ञान एवं वन औषधि विकास फाउंडेशन छत्तीसगढ़ के निदेशक हैं वे स्वदेशी ज्ञान परंपरा के सलाहकार स्वास्थ्य और विज्ञान भारती की सक्रिय सदस्य के रूप में भी जुड़े हैं उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों में भारतीय जनज्ञान परंपरा पर आधारित शोध कार्यों को दिशा दी है ,साथ ही युवाओं को स्वदेशी चिकित्सा और पारंपरिक विज्ञान के प्रति प्रेरित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। उनके प्रयासों से देश भर में परंपरागत ज्ञान की वैज्ञानिक मान्यता को नई ऊंचाइयां मिल रही हैं।

“ज्ञान की जड़ों को विज्ञान की रोशनी से सीचना ही मेरा लक्ष्य” –निर्मल अवस्थी”
निर्मल अवस्थी “वर्तमान में परंपरागत ज्ञान एवं वन औषधि विकास फाउंडेशन ,छत्तीसगढ़” के निदेशक “स्वदेशी ज्ञान परंपरा के सलाहकार सदस्य तथा विज्ञान भारती के सक्रिय सदस्य हैं। सम्मान समारोह में उपस्थित विद्वानों, शोधार्थियों और समाजसेवियों ने निर्मल अवस्थी को उनके सम्मान प्राप्ति पर उनके शुभचिंतकों सहयोगियों और विद्यार्थियों ने उन्हें हार्दिक बधाइयां और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।