रायपुर:– बस्तर छत्तीसगढ़ का एक आदिवासी बहुल और प्राकृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र, पिछले कई दशकों से नक्सलवाद और हिंसा की चपेट में रहा है। इस संघर्ष ने न केवल स्थानीय लोगों की जान और माल को प्रभावित किया है, बल्कि विकास की प्रक्रिया को भी गंभीर रूप से बाधित किया है। हिंसा और भय के कारण इन गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ पर्याप्त रूप से नहीं पहुँच पाईं। ऐसे में “नियद नेल्ला नार” योजना ने इन गांवों में विकास और सशक्तिकरण की नई दिशा दिखाई है।
‘नियद नेल्ला नार’ का अर्थ है ‘हमारा अच्छा गांव’, और इसका उद्देश्य बस्तर के दूरदराज और नक्सल प्रभावित गांवों में बुनियादी ढांचे का विकास करना तथा नागरिकों को सशक्त बनाना है। यह योजना फरवरी 2024 में सीएम विष्णु देव साय के नेतृत्व में शुरू की गई। इसका लक्ष्य केवल बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि स्थानीय लोगों को स्वावलंबी और सशक्त बनाना भी है।
योजना के माध्यम से, बस्तर के गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसरों में सुधार हुआ है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की दिशा में यह योजना मील का पत्थर साबित हो रही है। स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी और सरकारी प्रयासों के संयोजन से बस्तर में एक नई सुबह का आरंभ हो चुका है।
मोहंदी गांव में लगाया शिविर
‘नियद नेल्लानार योजना’ (आपका अच्छा गांव योजना) के तहत नारायणपुर जिला प्रशासन ने पहली बार सुदूरवर्ती ग्राम मोहंदी में शिविर का आयोजन किया। इस योजना के अंतर्गत माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में 14 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं, जिनके पांच किलोमीटर की परिधि में बसे गांवों में 25 से अधिक मूलभूत सुविधाएं और 32 व्यक्ति मूलक योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को दिलाया जा रहा है।
नारायणपुर जिले के ओरछा विकासखंड में ग्राम पंचायत कुतुल के आश्रित ग्राम मोहंदी में आयोजित राजस्व पखवाड़ा शिविर में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया। शिविर में जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र और वृद्धा पेंशन योजना वन अधिकार पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों का वितरण किया गया और आवेदन लिया गया। शिविर में 12 जाति प्रमाण पत्र, 15 निवास प्रमाण पत्र, 12 आय प्रमाण पत्र, 16 जन्म प्रमाण पत्र और 26 आधार कार्ड हेतु आवेदन प्राप्त हुए साथ ही शिविर में 16 जन्म प्रमाण पत्र, एक मृत्यु प्रमाण पत्र और 3 वृद्धा पेंशन योजना के प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
गृहणी ने बताए अपने अनुभव
गृहिणी जमुना मिच्छा कहती हैं, जल जीवन मिशन के तहत हर घर में नल होने से अब हमें पानी के लिए हैण्डपंप तक नहीं जाना पड़ता। पहले बच्चों को अकेला छोड़कर पानी लाने जाना पड़ता था, अब घर में ही पानी है, तो बच्चों का भी ठीक से ध्यान रख पाती हूं। वहीं भीमा माड़वी के लिए तो यह बदलाव कुछ और ही मायने रखता है। वे पहली बार रायपुर देखने गए – एक ऐसा अनुभव जो पहले कभी कल्पना में भी नहीं था। वे कहते हैं, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल के कारण आज पुसकोंटा जैसे दूरदराज गांव के ग्रामीण भी राजधानी के विकास कार्यों को देख पा रहे हैं।
बुनियादी ढांचे का विकास : सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
सामुदायिक सुरक्षा : स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ मिलकर सुरक्षा की स्थिति को मजबूत करना।
नागरिक सशक्तिकरण : स्वरोजगार, कौशल विकास और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रमों का आयोजन।
शांति और पुनर्वास : नक्सल प्रभावित व्यक्तियों का पुनर्वास और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना
कार्यान्वयन और उपलब्धियाँ
इस पहल के तहत कई गांवों में सड़कों, बिजली और जल आपूर्ति की योजनाएँ पूरी हो चुकी हैं। स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। महिलाओं और युवाओं के लिए स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिली है। स्थानीय लोगों की भागीदारी और जागरूकता ने भी इस पहल को मजबूती दी है। पंचायतों के सहयोग से विकास योजनाओं की निगरानी की जा रही है, जिससे संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित हो सके।
कई बुनियादी सुविधाएं हैं शामिल
योजना के प्रमुख घटकों में बुनियादी ढांचे का विकास, सामुदायिक सुरक्षा, नागरिक सशक्तिकरण और शांति एवं पुनर्वास शामिल हैं। इसके तहत सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएँ सुनिश्चित की जाती हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों के सहयोग से गांवों में सुरक्षा की स्थिति सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। नागरिक सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और युवाओं को कौशल विकास और स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकें।
सुरक्षा स्थिति में सुधार: हाल के वर्षों में बस्तर में नक्सल हिंसा में कमी आई है, जिससे विकास की प्रक्रिया में तेजी आई है।
नक्सलियों का आत्मसमर्पण: हाल ही में 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिसमें 111 महिलाएँ शामिल थीं।
बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता : मुतवेंडी जैसे गांवों में बिजली, पानी, सड़क और शिक्षा जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं, जो पहले नक्सल हिंसा के कारण अनुपलब्ध थीं।
कई जिलों में खुले नए सुरक्षा शिविर
इस योजना के तहत, बस्तर के 5 नक्सल प्रभावित जिलों- सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कांकेर में 54 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए हैं। इन शिविरों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 327 गांवों को चिन्हित कर, उन्हें 52 योजनाओं के माध्यम से विकास की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। इन योजनाओं में सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग, मोबाइल नेटवर्क, आंगनवाड़ी, राशन कार्ड, उज्जवला योजना, वनाधिकार पट्टा, कृषि उपकरण, और अन्य बुनियादी सुविधाएँ शामिल हैं।