दंतेवाड़ा:- जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है.RTE के मुताबिक जिले में एक भी पैथोलॉजी लैब वैध (लीगल) नहीं है. यानी जिले में संचालित हर लैब अवैध है. पूरे जिले में, फिलहाल 50-60 प्राइवेट पैथोलॉजी लैब संचालित हो रहे हैं. किसी का लाइसेंस रिन्यू नहीं हुआ है तो किसी का आवेदन लंबित है.
क्या है नियम: प्राइवेट लैब की देखरेख का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग का है. निजी प्रयोगशालाओं को संचालित करने के लिए, उन्हें स्वास्थ्य विभाग से मान्यता और लाइसेंस प्राप्त करना होता है. नर्सिंग होम एक्ट का पालन करना जरूरी होता है. समय-समय पर इन सभी पैथोलॉजी लैब का निरीक्षण भी जरूरी है.
कोई रेट फिक्स नहीं: लैबों में थायराइड, शुगर, क्रिएटिनिन, मलेरिया, सीबीसी, आरबीसी, एलएफटी, मूत्र, डेंगू, केलोस्ट्रोल, जैसे लगभग 150 टेस्ट हो रहे हैं. प्राइवेट लैब में अलग-अलग जांच का रेट फिक्स नहीं है.
RTI से खुलासा, CMHO ने भी कबूला: दंतेवाड़ा जिले में लैबों की वास्तविक स्थिति का पता लगाने एक RTI लगाई गई. CMHO कार्यालय से जानकारी में स्पष्ट कहा गया है इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. स्वास्थ्य विभाग ने वैध लैबों की संख्या निरंक बताया है.
पैथालाजी लैब के नियम-शर्तें
सबसे पहले लैब का स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य होता है.
लैब में मरीजों के जांच के लिए लैब टेक्रिशियन होना चाहिए.
लैब संचालन जिनके नाम से है वहीं व्यक्ति जांच करेगा.
लैब में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना होता है ताकि खतरनाक पदाथी का उचित निपटान हो.
नमूना संग्रहण और परिवहन के लिए उचित प्रकिया होनी चाहिए, ताकि नमूनों सही बने रहे.
स्वास्थ्य अधिकारी को नियमित रूप से लैबों का निरीक्षण करना चाहिए ताकि सुनिश्चित हो सके कि नियमों का पालन हो रहा है.
अवैध लैबों पर क्या कार्रवाई की जा सकती है
अवैध लैब को सील किया जाएगा.
अवैध लैब संचालक के खिलाफ FRI दर्ज कराई जाती है.
अवैध लैब संचालक करने संचालक के खिलाफ 6 महीना से 2 साल तक की सजा या जुर्माना का प्रावधान है.
सबसे बड़ा सवाल यह कि जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी यह मालुम है कि जिले में चल रहे तमाम पैथोलॉजी लैब अवैध है तो फिर इन अवैध फर्जी लैब संचालकों पर अब तक कोई कारवाई क्यों नहीं की गई? इसे बंद क्यों नहीं करवाया गया है?