नई दिल्ली :- प्रदूषित हवा में सांस लेने से टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है. जबकि वायु प्रदूषकों, खासतौर से सूक्ष्म PM2.5 के संपर्क में आने से फेफड़ों की पुरानी बीमारियां, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कैंसर जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं. जबकि अमेरिका, यूरोप और चीन के कुछ अध्ययनों ने सहसंबंध दिखाया है, हाल ही में भारत के दो-शहर के अध्ययन ने मात्रा निर्धारित की है कि PM2.5 के संपर्क में थोड़ी सी वृद्धि की वजह से हाई ब्लड शुगर लेवल की समस्या हो सकती है.
इस महीने की शुरुआत में, मुंबई से निकलने वाली देश की अग्रणी मेडिकल पत्रिका जेएपीआ ने एक संपादकीय प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था,’वायु प्रदूषण: टाइप 2 मधुमेह का एक नया कारण?’
गर्मी के कारण हाल के दिनों में एयर क्वालिटी इंडेक्स कम रहा है, वायु प्रदूषण शहरी भारत में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक के रूप में उभर रहा है; अनुमान है कि वायु प्रदूषण से हर साल मुंबई में लगभग 20,000 और दिल्ली में 50,000 लोगों की मौत हो जाती है.
कुछ महीने पहले,’बीएमजे ओपन डायबिटीज रिसर्च एंड केयर’ में प्रकाशित अध्ययन ने पीएम2.5 के लघु, मध्यम और दीर्घकालिक जोखिम को जोड़ने वाले साक्ष्य प्रदान किए.
पेपर में कहा गया है, “पीएम2.5 के मासिक औसत जोखिम में 10 ग्राम/घन मीटर की वृद्धि, फिंगर पिक ब्लड टेस्ट में 0.4 मिलीग्राम/डीएल की वृद्धि और एचबीए1सी टेस्ट में 0.021 यूनिट की वृद्धि के साथ जुड़ी हुई थी.” एचबीए1सी एक ब्लड टेस्ट है जो तीन महीने की अवधि में ब्लड शुगर लेवल का पता चलता है.
अध्ययन के लिए दिल्ली और चेन्नई में रहने वाले 12,064 वयस्कों पर सात साल की अवधि में अध्ययन किया गया. हाइब्रिड उपग्रह-आधारित एक्सपोज़र मॉडल के माध्यम से न केवल PM2.5 कंसनट्रेशन की डेली रीडिंग नोट की गई, बल्कि ग्राउंड रीडिंग की भी निगरानी की गई.
 
		