नई दिल्ली:- केंद्र सरकार घटिया उर्वरकों, कीटनाशकों और बीजों की बिक्री के खिलाफ सख्त कानून लाने की योजना बना रही है. नए कानून के तहत घटिया खाद, कीटनाशक और बीज बेचने या देने पर अधिकतम सजा का प्रावधान होगा. अभी तक इस तरह की गड़बड़ी के लिए बहुत कम जुर्माने का प्रावधान है. किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार यह कदम उठाने जा रही है.
किसानों के साथ धोखाः
दिल्ली में मक्का सम्मेलन के दौरान सोमवार 7 जुलाई को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटिया बीज, खाद और कीटनाशक की बिक्री पर चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि सरकार घटिया बीज, खाद और कीटनाशकों की बिक्री के खिलाफ सख्त कानून बनाने जा रही है. घटिया बीज बेचना या देना किसानों के साथ धोखा है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, मैं घटिया बीज उपलब्ध कराए जाने की शिकायत मिलने पर किसान के खेत में गया, जहां मैंने स्थिति की जांच की और पाया कि घटिया बीज बोने के कारण किसान के खेत में अंकुरण नहीं हुआ, जिसके कारण बुवाई बर्बाद हो गई और फसलें बर्बाद हो गईं. इसकी पूरी जांच की जाएगी कि यह बीज कहां से आया और किसने बेचा। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
किसानों की आय बढ़ाना हैः
शिवराज चौहान ने कहा कि किसानों को न्याय दिलाना सरकार का कर्तव्य है. खराब या घटिया बीजों के कारण अपनी फसल गंवाने वालों को राहत और मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को राहत देने वाली योजनाओं में से एक है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार की नीति देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और किसानों की आय बढ़ाना है.
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा, मैंने उत्पादन लागत कम करने और अधिक उपज प्राप्त करने के लिए नई तकनीक विकसित करने के निर्देश भी दिए हैं. हमारा उद्देश्य उत्पादन बढ़ाना और उत्पादन लागत कम करना है. मक्का उत्पादन के लिए विभिन्न प्रकार के शोध की आवश्यकता होती है, जिसके लिए मैंने वैज्ञानिकों को उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. हम प्रयास करेंगे कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले.
कृषि में विविधीकरण जरूरीः
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि में विविधीकरण जरूरी है. मक्के की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. हाल ही में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत वैज्ञानिकों को किसानों के बीच भेजा गया था. लैब को जमीन से जोड़ने का काम किया गया.
नकली बीजों पर अंकुश लगाने के मानदंड:
नकली बीजों, कीटनाशकों और उर्वरकों की गड़बड़ी पर अंकुश लगाने और किसानों को गुणवत्तापूर्ण इनपुट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, बीज अधिनियम, 1966, बीज नियम, 1968, बीज (नियंत्रण) आदेश, 1983, आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955, कीटनाशक अधिनियम, 1964, कीटनाशक नियम, 1971 और उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 में विभिन्न प्रावधान उपलब्ध हैं.
बीजों का गुणवत्ता नियंत्रण:
संबंधित राज्य कृषि विभाग अपने-अपने राज्यों में बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के गुणवत्ता नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति करता है. यदि बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के किसी भी नमूने में नकली/घटिया गुणवत्ता पाई जाती है, तो अधिनियमों और नियमों के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाती है.
निरीक्षकों द्वारा लिए गए नमूने:
लोकसभा के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-24 के दौरान देश भर में निरीक्षकों द्वारा लिए गए और बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के संबंध में घटिया पाए गए नमूने दिए गए हैं: वर्ष 2023-24 के दौरान कुल 133,588 बीज नमूने लिए गए और उनमें से 3,630 नमूने घटिया पाए गए. वर्ष 2023-24 के दौरान कुल 1,81,153 उर्वरक नमूनों का विश्लेषण किया गया और उनमें से 8,988 नमूने गैर-मानक पाए गए. 80,789 कीटनाशक नमूनों का विश्लेषण किया गया और उनमें से 2,222 नमूने नकली पाए गए.
क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ:
कृषि विशेषज्ञ डॉ. डीके राणा ने ईटीवी भारत से कहा, यह सच है कि घटिया बीज, खाद और कीटनाशक किसानों के लिए परेशानी का सबब बनते हैं. इस समस्या को रोकने के लिए सरकार के नुमाइंदों को इन उत्पादों की जांच के लिए सर्वेक्षण कराना चाहिए. साथ ही घटिया बीज और खाद के खिलाफ सख्त नियम बनाए जाने चाहिए. इन घटिया उत्पादों की वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है.