छत्तीसगढ़ :– इस साल हुई अभूतपूर्व बारिश के चलते राज्य के कई बांध और जलाशय पूरी तरह भरकर छलकने लगे हैं, जिससे उनके टूटने का खतरा तेजी से बढ़ गया है। हाल ही में बलरामपुर के लुत्ती बांध और सरगुजा के गेरसा बांध फूट चुके हैं, जबकि सकेतवा बांध भी खतरे के निशान पर पहुंच चुका है।
जल संसाधन विभाग की हालिया बांध सुरक्षा हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 11 बड़े बांधों पर मध्यम से उच्च स्तर का खतरा मंडरा रहा है। ये सभी बांध श्रेणी-2 में रखे गए हैं, जिनमें तकनीकी खामियां पाई गई हैं और तत्काल सुधार की जरूरत बताई गई है।
खतरे की सूची में शामिल 11 बांध:
मिनीमाता (हसदेव बांगो), पंडित रविशंकर सागर (गंगरेल), पेंड्रावन, आमाबेड़ा, केदारनाला, सिकासार, अमाहगांव, बृजेश्वर सागर (कोईनारी), कुर्रिडीह, फरसपाल, गौरी बांध इन सभी बांधों का 2024-25 मानसून के पहले और बाद में निरीक्षण किया गया, जिसमें दरारें, रिसाव, कटाव और संरचनात्मक कमजोरियां सामने आईं।
प्रमुख समस्याएं:
बांगो बांध: क्षैतिज दरारें, जिनसे लगातार रिसाव हो रहा है।
गंगरेल बांध: पानी का असामान्य रिसाव और उच्च मात्रा में डिस्चार्ज।
पेंड्रावन: डाउनस्ट्रीम हमेशा गीला और जलभराव की स्थिति में।
आमाबेड़ा: स्पिल चैनल में 40 मीटर गहरा कटाव, साइफन क्षतिग्रस्त।
सिकासार: 6 वर्षों से डाउनस्ट्रीम में लगातार रिसाव।
अमाहगांव: अव्यवस्थित पानी निकासी से स्लूसगेट व नहर में गंभीर कटाव।
कोईनारी: मिट्टी धंसने से आउटलेट संरचना पर खतरा।
कुर्रिडीह: बंद स्लूस गेट के बावजूद जल प्रवाह जारी।
गौरी बांध: मिट्टी के बंध कमजोर होने से रिसाव पथ बन चुका है।