संगठित चिकित्सा अकादमिक गिल्ड (ओएमएजी) ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शीर्ष न्यायाधीशों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के ‘क्रीमी लेयर’ के लिए निर्धारित आरक्षण कोटा के विवाद को हल करने का आग्रह किया।
ओएमएजी के महासचिव डॉ. आईएस गिलाडा ने यूनीवार्ता को बताया कि हमने प्रधानमंत्री और शीर्ष न्यायाधीशों से आग्रह किया है कि जनता के हित में इस विवाद को खत्म करने का रास्ता निकालेें और कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर कार्यक्षमता पर ध्यान दें।
डॉ. गिलाडा ने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2021 में स्नातकोत्तर मेडिकल दाखिला शून्य था। उन्होंने कहा कि अंतिम वर्ष के छात्रों ने लगभग आठ महीने पहले ही परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी लेकिन आरक्षण कोटा के विवाद के कारण स्नातकोत्तर संकाय में प्रवेश नहीं ले पाये थे। उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर डॉक्टरों को तीन-तीन जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं- रोगी की देखभाल, स्नातक छात्रों को पढ़ाना, जो एमबीबीएस के छात्र हैं और अपने डिग्री के लिए अध्ययन करना।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्य अपने चुनाव कार्यक्रम में व्यस्त हैं और देश में ओमिक्रॉन अपने पैर पसार रहा है और स्नातकोत्तर चिकित्सक और स्नातकोत्तर छात्र इन सबसे प्रताड़ित हो रहे हैं। वे लोग न्यायपालिका, राजनेताओं और प्रशासन के आरोप प्रत्यारोप के बीच में फंस गये हैं।
डॉ. गिलाडा ने कहा कि पूरी दुनिया में सभी देश कोविड-19 महामारी की तीसरी, चौथी और पांचवी लहरों के लिए खुद को उनके पहले के अनुभवों और वर्तमान परिदृश्य के आधार पर तैयारी कर रहे हैं क्योंकि दुनियाभर में ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ता जा रहा है। सभी देश अपने अपने स्वास्थ्य क्षेत्रों को मजबूत करने में लगे हैं और भारत को भी इसी तरह की तैयारी करनी होगी।
ओएमएजी ने मोदी से आरक्षण कोटा का विवाद खत्म करने का किया आग्रह
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