नई दिल्ली :– राज्य में शिक्षा सत्र 2026-27 से छात्र-छात्राओं को अब अलग-अलग पंजीयन नहीं करना होगा। अब स्कूलों में नर्सरी क्लास में प्रवेश के समय छात्र-छात्राओं को जो ऑटोमेटेड परमानेंट अकादमिक एकाउंट रजिस्ट्रेशन (अपार) नंबर मिलेगा, वह आजीवन बना रहेगा।
इसी नंबर पर स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के सारे रिकार्ड दर्ज होंगे। अब तक स्कूलों में कक्षा 9वीं में नामांकन किया जात था, जो 12वीं कक्षा की पढ़ाई तक रहता था। महाविद्यालयों में प्रवेश के बाद अलग से नामांकन होता है। इसमें मिलने वाले नंबर से विद्यार्थियों का उच्च शिक्षा का रिकार्ड रहता है।
दोनों के लिए अलग-अलग शुल्क भी देना होता है। दो-अलग-अलग नंबरों को विद्यार्थी को याद भी नहीं रख पाते हैं। इसे देखते हुए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 को ध्यान में रखते हुए बच्चों का स्कूल में नर्सरी कक्षा में प्रवेश लेते ही अपार आईडी बनाई जाएगी।
ग्रास इनरोलमेंट रेशियो (जीईआर) की सही जानकारी मिलेगी इससे स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग को उम्मीद है कि एबीसी और अपार आईडी अनिवार्य होने से नर्सरी, प्राइमरी, मिडिल, हाई, हायर, स्नातक, स्नातकोत्तर, लघु शोध और पीएचडी तक करने वाले छात्रों का सही पंजीयन संख्या मिल सकेगा। यह भी पता चल सकेगा कि कक्षा-दर कक्षा कितने विद्यार्थी लगातार पढ़ते रहते हैं और कितने विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ देते हैं। इससे ग्रास इनरोलमेंट रेशियो (जीईआर) का सही अनुमान लग जाएगा।
50 हजार सीटें खाली रह गईं राज्य में संचालित अकादमिक पं. रविशंकर शुक्ल विवि रायपुर, हेमचंद यादव विवि दुर्ग, अटल बिहारी वाजपेयी विवि बिलासपुर, संत गुर गहिरा विवि अंबिकापुर, शहीद महेंद्र कर्मा विवि जगदलपुर और शहीद नंद कुमार पटेल विवि रायगढ़ में करीब 50 हजार से अधिक सीटें खाली हैं। 12वीं कक्षा की परीक्षा में शिक्षा सत्र 2024-25 में 2,40,341 परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
अपार में अकादमिक रिकार्ड होंगे ^अपार आईडी में छात्र-छात्राओं के सारे अकादमिक रिकार्ड होंगे। एक बार अपार आईडी बनने के बाद पूरी पढ़ाई चाहे स्कूल हो या कॉलेज या फिर डिप्लोमा आदि के सभी में एक ही नंबर रहेगा। अलग-अलग पंजीयन नहीं करना पड़ेगा। शिक्षा सत्र 2026-27 से राज्य के सभी डिग्री कॉलेजों में बिना एबीसी और अपार आईडी के प्रवेश नहीं दिया जाएगा। विश्वविद्यालयों में स्वायत्तता दी जा सकती है। -संतोष कुमार देवांगन संचालक, उच्च शिक्षा