नई दिल्ली: फेस्टिव सीजन शुरू होने से पहले सरकार ने देश के करोड़ों उपभोक्ताओं और कारोबारियों को बड़ी राहत मिल सकती है. दरअसल, सितंबर में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में ‘नेक्स्ट-जेनरेशन GST रिफॉर्म्स’ पर मुहर लग सकती है. इन सुधारों का असर रसोई से लेकर हेल्थ पॉलिसी तक पर पड़ेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस बात पर प्रकाश डाला कि 2017 में लागू की गई जीएसटी एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिससे देश को लाभ हुआ है. प्रधानमंत्री ने जीएसटी के तहत नेक्स्ट जनरेशन के सुधारों के महत्व पर जोर दिया, जो आम आदमी, किसानों, मध्यम वर्ग और एमएसएमई को राहत प्रदान करते हैं.
‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण के लिए केंद्र सरकार जीएसटी में महत्वपूर्ण सुधारों का प्रस्ताव पेश करने जा रही है. यह सुधार तीन स्तंभों स्ट्रक्चर्ल रिफॉर्म, रेट का रेशनलाइजेशन और ईज ऑफ लिविंग पर केंद्रित है.
केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों के रेशनलाइजेशन और सुधारों पर अपना प्रस्ताव जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रिसमूह को इस मुद्दे पर विचार करने के लिए भेज दिया है. इन सुधारों के लिए पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों में समाज के सभी वर्गों, विशेषकर आम आदमी, महिलाओं, छात्रों, मध्यम वर्ग और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए टैक्स रेट का रेशनलाइजेशन शामिल है.
सुधारों का उद्देश्य क्लासिफिकेशन संबंधी विवादों को कम करना, स्पेसिफिक क्षेत्रों में इंवर्टेड ड्यूटी ढांचों को सुधारना, दरों में अधिक स्थिरता सुनिश्चित करना, व्यापार सुगमता को और बढ़ाना होगा. ये उपाय प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को मजबूत करेंगे, आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेंगे और क्षेत्रीय विस्तार को सक्षम करेंगे.
क्या हैं स्ट्रक्चरल रिफॉर्म?
सरकार इनपुट और आउटपुट टैक्स रेट को एक समान करने के लिए इंवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्टर में सुधार करेगी, ताकि इनपुट टैक्स क्रेडिट में कमी आए. इससे घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा रेट स्ट्रक्टर को सुव्यवस्थित करने, विवादों को कम करने, अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने में मदद मिलेगी. वहीं, उद्योग जगत का विश्वास बढ़ाने और बेहतर व्यावसायिक योजना बनाने में सहायता के लिए दरों और नीतिगत दिशा पर दीर्घकालिक स्पष्टता प्रदान की जाएंगी.
रेट रेशनलाइजेशन
इससे आम आदमी का सामर्थ्य बढ़ेगा, उपभोग को बढ़ावा मिलेगा और आवश्यक- महत्त्वाकांक्षी वस्तुएं व्यापक जनसंख्या के लिए अधिक सुलभ होंगी. इसके अलावा स्लैब में भी कमी की जाएगी.विशेष दरें सिर्फ कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर ही लागू होंगी. टैक्स कम होने पर सामान सस्ती दरों पर मिलेगा. इससे मिडिल क्लास, छात्रों और स्टूडेंट्स को फायदा होगा.
ईज ऑफ लिविंग
इसमें छोटे व्यवसायों और डिजिटलाइजेशन को आसान बनाया जाएगा है. इसमें एक बिना रुकावट वाली तकनीक बनाना, गलतियों और मानवीय हस्तक्षेप को कम करने के लिए जीएसची रिटर्न पर रिफंड जल्द से जल्द जारी करना शामिल है.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक केंद्र ने सभी हितधारकों के बीच रचनात्मक, समावेशी और आम सहमति पर आधारित संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से यह पहल की है. सहकारी संघवाद की सच्ची भावना के अनुरूप, केंद्र राज्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. वह आने वाले हफ्तों में राज्यों के साथ व्यापक सहमति बनाएगा, ताकि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा परिकल्पित अगली पीढ़ी के सुधारों को लागू किया जा सके
12 फीसदी GST स्लैब हटाने की योजना
इतना ही नहीं जीएसटी काउंसिल की सितंबर में होने वाली बैठक में 12 फीसदी स्लैब को खत्म किया जा सकता है. बता दें कि वर्तमान GST के 0,5,12,18 और 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब हैं. अगर ऐसा होता है तो कई चीजें सस्ती हो सकती हैं.
12 फीसदी GST स्लैब खत्म होने पर क्या होगा सस्ता?
बता दें कि 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में प्रोसेस्ड फूड, मक्खन, घी, सॉस, मोबाइल फोन (कुछ मॉडल), छाता, सिलाई मशीन रेडी टू ईट वेजिटेबल, प्रोसेस्ड फ्रूट्स , अचार मुरब्बा, चटनी, जैम्स, जैसी और पैक नारियल पानी जैसे सामान आते हैं. अगर यह स्लैब खत्म होता है तो उन्हें 5 प्रतिशत वाले स्लैब में शामिल किया जा सकता है, जिससे यह सभी सामान सस्ते हो सकते हैं.
