भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 के लॉन्च के साथ दुनिया के सामने इतिहास रच दिया है. देश के सबसे ताकतवर रॉकेट LVMV4 के साथ चांद की जमीं को छूने के लिए निकला चंद्रयान-3 का सफर अभी पूरा भी नहीं हुआ है कि गगनयान की तैयारी तेज कर दी गई है. इसरो ने तमिलनाडु के महेन्द्रगिरि में बने प्रोपल्शन कॉम्पलेक्स (आईपीआरसी) में गगनयान की सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन प्रणाली (एसएमपीएस) का सफल टेस्ट किया है.
गगनयान पर बड़ा अपडेट देते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि इस मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को तीन दिनों के लिए 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजने की तैयारी है. इस मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो ने 440 न्यूटन थ्रस्ट वाले पांच लिक्विड अपोजी मोटर (एलएएम) (सामान्य रॉकेट इंजन) और 100 न्यूटन थ्रस्ट वाले 16 रिएक्शन नियंत्रण प्रणाली (आरसीएस) थ्रस्टर्स का टेस्ट कर लिया है.
इसरो की ओर से ट्वीट कर बताया गया है कि चंद्रयान-3 ने तीसरी कक्षा को पार कर लिया है और चौथी कक्षा में प्रवेश कर लिया है. इसरो ने बताया है कि जिस रफ्तार से चंद्रयान अपना सफर तय कर रहा है उसके मुताबिक 25 जुलाई को दोपहर 2 से 3 के बीच में ये पांचवीं कक्षा में प्रवेश कर जाएगा. पांचवीं कक्षा में प्रवेश से पहले 25 जुलाई को इसके इंजन को एक बार फिर स्टार्ट किया जाएगा.
चंद्रयान ने 14 अगस्त को रचा था इतिहासचंद्रयान-3 को 14 अगस्त को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया गया था. इस खास मौके पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था, चंद्रयान-3, चांद पर कदम रखने के सफर पर है. अगले कुछ दिनों में लैंडर को चांद की सहत पर सफलतापूर्वक उतारने का काम कर दिखाएगा. उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि इस मिशन के जरिए हम बहुत सी जानकारी हासिल करेंगे.
