हरियाणा :– शिक्षा विभाग ने राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत निजी स्कूलों को 23 मई 2025 तक अपनी खाली सीटों का ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया है। इससे पहले 3134 प्राइवेट स्कूलों को नोटिस जारी किया गया था, जिनमें से अब भी 2606 स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने निर्देशों का पालन नहीं किया है।
दोबारा खोला गया पोर्टल फिर भी नहीं माने स्कूल
शिक्षा विभाग ने नियमों का पालन न करने वाले स्कूलों को एक और मौका देते हुए पोर्टल दोबारा खोल दिया है। इसके बावजूद अगर कोई स्कूल खाली सीटों की जानकारी नहीं देता, तो उन पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
विभाग की सख्ती हो सकती है मान्यता रद्द
सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा विभाग अब इन स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। अगर कोई स्कूल RTE के तहत सीटें आरक्षित नहीं करता या खाली सीटों का रिकॉर्ड नहीं देता, तो उसकी मान्यता रद्द करने या स्कूल बंद कराने तक की कार्रवाई की जा सकती है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि कई स्कूल बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं।
सरकार की योजना के तहत RTE के बच्चों को स्कूलों में एडमिट करवाने के बाद उनके खर्च की प्रतिपूर्ति सरकार खुद करती है। इसके बावजूद भी कई निजी स्कूल जानबूझकर सीटों की जानकारी नहीं दे रहे ताकि उन्हें RTE के तहत गरीब बच्चों को दाखिला न देना पड़े।
जिलावार निजी स्कूलों की स्थिति
प्रदेश के 2606 प्राइवेट स्कूल जिन्होंने अब तक पोर्टल पर कोई जानकारी नहीं दी है, उनका जिलावार विवरण इस प्रकार है:
फरीदाबाद: 290 स्कूल
गुरुग्राम: 216 स्कूल
करनाल: 213 स्कूल
हिसार: 197 स्कूल
पानीपत: 172 स्कूल
सोनीपत: 117 स्कूल
यमुनानगर: 123 स्कूल
पलवल: 120 स्कूल
महेंद्रगढ़: 107 स्कूल
फतेहाबाद: 102 स्कूल
भिवानी: 101 स्कूल
अंबाला: 99 स्कूल
रेवाड़ी: 93 स्कूल
कैथल: 88 स्कूल
रोहतक: 86 स्कूल
झज्जर: 85 स्कूल
कुरुक्षेत्र: 111 स्कूल
नूंह (मेवात): 69 स्कूल
सिरसा: 79 स्कूल
चरखी दादरी: 31 स्कूल
पंचकूला: 42 स्कूल
जींद: 65 स्कूल
शिक्षा विभाग की चेतावनी अब कोई छूट नहीं
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अब सीटों का ब्योरा नहीं देने वाले स्कूलों को बख्शा नहीं जाएगा। सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वे अधूरी जानकारी देने वाले स्कूलों की रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपें।
शिक्षा का अधिकार लेकिन जिम्मेदारी स्कूलों की भी
RTE का उद्देश्य हर बच्चे को समान शिक्षा का अधिकार दिलाना है। ऐसे में अगर निजी स्कूल जानबूझकर खाली सीटें छिपाते हैं, तो यह कानून की अवहेलना ही नहीं, बल्कि गरीब बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ है। शिक्षा विभाग की इस सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि अब सभी स्कूल RTE नियमों का पालन करने के लिए मजबूर होंगे।