नई दिल्ली :– बुधवार को सियासत उस वक्त गर्मा गई जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को भारतीय सेना पर टिप्पणी के लिए फटकारे जाने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कोर्ट की कोई भी ‘सच्चा भारतीय’ तय करने की भूमिका पर सवाल उठा दिया। प्रियंका गांधी के बयान को लेकर बीजेपी ने जबरदस्त आपत्ति दर्ज की और इसे सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का खुला अपमान बताते हुए शीर्ष अदालत से स्वत: संज्ञान लेने की मांग कर डाली। भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय और सांसद मनन कुमार मिश्रा ने स्पष्ट कहा कि “कानून सब पर बराबर लागू होना चाहिए, गांधी परिवार पर भी।”
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार अपने फैसले में राहुल गांधी को चेतावनी देते हुए सवाल किया था कि उन्हें कैसे पता चला कि चीन ने भारत की 2,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया? कोर्ट ने कहा, “अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसी बात नहीं कहेंगे।” प्रियंका गांधी ने अपने भाई राहुल के बचाव में कहा कि “कोई भी जज यह तय नहीं कर सकता कि कौन सच्चा भारतीय है। न्यायपालिका या सरकार को देशभक्ति का सर्टिफिकेट देने का अधिकार नहीं होना चाहिए। राहुल गांधी ने हमेशा सेना का सम्मान किया है।” कांग्रेस की दलील थी कि विपक्ष का काम सरकार से सवाल पूछना है और राहुल गांधी सिर्फ वही कर रहे हैं।
BJP का आरोप: ‘न्यायपालिका का सीधा अपमान’
अमित मालवीय समेत बीजेपी नेताओं ने प्रियंका के बयान को न्यायपालिका की अवमानना करार दिया है। मालवीय का कहना था, “यदि कोर्ट तय नहीं करेगा कि कौन राष्ट्रभक्त है, तो कौन करेगा? गांधी परिवार का रुख देश की न्यायिक व्यवस्था को चुनौती देने जैसा है।” सांसद निष्कांत दुबे के पुराने मामले का हवाला देकर यह मांग भी उठाई गई कि अगर पिछली बार अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया था, तो इस बार भी लेना चाहिए। भाजपा नेता मनन कुमार मिश्रा जैसे वरिष्ठ वकीलों ने ऐलान किया है कि वे प्रियंका गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करेंगे।
‘सबके लिए एक कानून, कोई अपवाद नहीं’
भाजपा का तर्क है कि गांधी परिवार अपने को कानून से ऊपर मानता है, जबकि लोकतंत्र और संविधान की भावना यही है कि सभी के लिए नियम समान हों। दूसरी ओर, कांग्रेस ने दोहराया है कि उनके नेताओं को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
रुझान और संभावित असर
यह विवाद न केवल संसद और कोर्ट के रिश्तों को फिर चर्चा में ले आया है, बल्कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी, विपक्ष की भूमिका, और न्यायपालिका के अधिकारों को लेकर नई बहस भी खड़ी कर रहा है। अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट प्रियंका गांधी के बयान पर स्वता: संज्ञान लेकर कोई बड़ा निर्णय लेता है या नहीं।