धान भारतीय किसानों के लिए महत्वपूर्ण फसल है, लेकिन कीटों और रोगों की हमेशा खतरा बना रहता है। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि कैसे धान की फसल को प्राकृतिक तरीकों से कीटों और रोगों से बचाया जा सकता है।
धान की फसल की महत्वपूर्णता:धान खेती भारतीय खाद्य प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है और अधिकांश किसान इसमें लगे रहते हैं। यह खेती वर्षभर में बढ़ती हुई बारिश के साथ होती है, जिसके कारण कीट और रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।
इसलिए, प्राकृतिक उपायों से धान की फसल को सुरक्षित रखना आवश्यक है।पाटा चलाकर कीटों से बचाव:पाटा चलाना धान की फसल को कीटों से बचाने का एक प्राकृतिक तरीका है। धान की रोपाई के लगभग 20 दिन बाद, पाटा को फसल पर फिराया जाता है। यह पानी में डूबकर तैरते हुए कीटों को मार देता है और फसल को कीटों से बचाता है।
पाटा चलाने के लाभ:नमी से होने वाले कीटों के खिलाफ सुरक्षा।प्राकृतिक तरीके से फसल की सुरक्षा।कीटनाशकों के बिना फसल को सुरक्षित रखना।पाटा चलाने की विधि:धान की रोपाई के 15-20 दिन बाद, पाटा को खेत में फिराया जाता है। यह कीटों को पानी में डूबकर मार देता है और फसल की सुरक्षा करता है। अगर आवश्यक हो तो 30-35 दिन के बाद दोबारा पाटा चलाया जा सकता है। पानी की कमी के मामूल्यकान अवस्था में पाटा चलाने से अधिक लाभ मिलता है।
अन्य प्राकृतिक उपाय:बत्तख पालन: खेत में बत्तख पालकर कीट-पतंगों से छुटकारा पाया जा सकता है। बत्तख कीट-पतंगों को खाती है और फसल की सुरक्षा करती है।
मछली पालन: धान के तनों में लगने वाले कीटों को मछलियों के खाने से खत्म किया जा सकता है। मछलियां उन कीटों को खा जाती है और फसल को सुरक्षित रखती है।
जल से मारना: प्रारंभिक अवस्था में कीटों को तेज जल की फुहारों से मार सकते हैं। तेज बारिश और जल की तेज फुहारें कीटों को मारने में मदद करती है।
जैविक दवा का प्रयोग: जैविक दवाओं का प्रयोग भी कीटों से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है। ये दवाएं प्राकृतिक होती हैं और फसल को सुरक्षित रखती हैं।
