नई दिल्ली,26 मार्च। उत्तर प्रदेश के बाहुबली मुख्तार अंसारी को झटका लगा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि अंसारी को पंजाब की जेल से UP की जेल में शिफ्ट किया जाए। टॉप कोर्ट ने यह भी कहा कि एमपी/एमएलए कोर्ट तय करे कि उसे कहां रखना है। बताया गया है कि मुख्तार अंसारी ने खुद को बचाने के लिए मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की भी मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने उसकी याचिका ठुकरा दी।
उत्तर प्रदेश के मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी कथित जबरन वसूली मामले में पंजाब के रूपनगर जिला जेल में बंद हैं । उत्तर प्रदेश में उनके विरूद्ध कई मामले लंबित हैं। योगी सरकार ने उसके ट्रांसफर के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। कोर्ट के इस आदेश को यूपी सरकार की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
पंजाब सरकार पर लगे थे अंसारी को बचाने के आरोप: बता दें कि यूपी सरकार ने मुख्तार अंसारी को यूपी भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के साथ ही कहा था कि पंजाब सरकार गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी का ‘बेशर्मी’ से बचाव कर रही है और विभिन्न मामलों में मुकदमों की सुनवाई का सामना करने के लिए उसे उत्तर प्रदेश नहीं भेज रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत को दी गई लिखित अर्जी में पंजाब सरकार को घेरते हुए कहा था कि अंसारी के हिरासत हस्तांतरण की योजना बारीकी से बनाई गई थी और संदेह जताया कि इलाहाबाद के विशेष एमपी/एमएलए अदालत के न्यायाधीश के समक्ष उनके खिलाफ सुनवाई में देरी की साजिश की जा रही है।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा कि उसे मोहाली के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित मामले को उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद के विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) में स्थानांतरित करवाने का अधिकार है क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 406 (मुकदमों और अपील को स्थानांतरित करने के उच्चतम न्यायालय का अधिकार) के तहत उत्तर प्रदेश ‘‘संबंधित पक्ष’’ है।
मुख्तार अंसारी के बेटों को राहत दे चुका है सुप्रीम कोर्ट: बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के दो बेटों अब्बास और उमर अंसारी को कथित जालसाजी के एक मामले में गिरफ्तारी से इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मिली राहत के विरूद्ध उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर की गई अर्जी इसी महीने की शुरुआत में खारिज कर दी थी।