नई दिल्ली:– तेलंगाना के स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग के लिए 42% आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इस बीच, कांग्रेस नेता वी. हनुमंता राव ने ओबीसी आरक्षण को लेकर सोमवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने पहले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण दिया था, जिसका उन्होंने कभी विरोध नहीं किया। राव ने सवाल उठाया कि अब पिछड़ा वर्ग आरक्षण के मामले में बाधा क्यों डाली जा रही है। उन्होंने कहा, ‘आखिर कोर्ट इस रास्ते में क्यों आ रहे हैं?’
कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल गांधी 50% आरक्षण की सीमा को हटाने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने न्यायपालिका से अपील करते हुए कहा, ‘मैं अदालत से अनुरोध करता हूं कि हमारे रास्ते में न आएं।’ यह बयान स्थानीय निकायों में आरक्षण की नीति पर चल रही बहस को और हवा दे सकता है। तेलंगाना में विभिन्न राजनीतिक दलों और 60 से अधिक पिछड़ा वर्ग संघों के नेताओं ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए बिना किसी समझौते के संघर्ष करने का संकल्प लिया।
आरक्षण सुनिश्चित करने को लेकर अहम बैठक
हैदराबाद में रविवार को आयोजित गोलमेज बैठक में पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मंत्री वक्ति श्रीहरि, श्रीनिवास गौड़, गंगुला कमलाकर, वी हनुमंत राव, पुट्टा मधु और आनंद भास्कर सहित वरिष्ठ नेताओं, सांसदों व विधान पार्षदों ने हिस्सा लिया। इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में चल रही कानूनी लड़ाई पर चर्चा की। बैठक की अध्यक्षता कर रहे राज्यसभा सांसद आर. कृष्णैया ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण की रक्षा के लिए जानेमाने वकीलों की नियुक्ति की जाएगी। वक्ताओं ने जोर दिया कि 42 प्रतिशत आरक्षण कानूनी, संवैधानिक और सामाजिक रूप से उचित है। उन्होंने चेतावनी दी कि अदालतों या राजनीतिक विरोध के जरिए इसे बाधित करने के प्रयासों का कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने सभी समुदायों में एकता की अपील की।