नई दिल्ली, 1 अप्रैल। भारतीय सिनेमा और दक्षिण भारतीय फ़िल्मों के दिग्गज अभिनेता रजनीकांत को 51वें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को इसका ऐलान किया. उन्होंने एक ट्वीट के ज़रिए इसकी जानकारी दी.
जावड़ेकर ने लिखा, “मुझे इस बात की अत्यंत ख़ुशी है कि 2019 का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार रजनीकांत को मिला है. पाँच सदस्यों की ज्यूरी ने एकमत से इसकी सिफ़ारिश की है. ज्यूरी में आशा भोंसले, सुभाष घई, मोहन लाल, शंकर महादेवन और बिश्वजीत चटर्जी शामिल थे.”
कोरोना महामारी की वजह से इस बार सभी पुरस्कारों की घोषणा देरी से हुई है. हाल ही में नेशनल अवॉर्ड्स की भी घोषणा की गई थी.
दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है.
71 वर्षीय रजनीकांत बीते पाँच दशक से भारतीय सिनेमा पर राज कर रहे हैं.
12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरू के एक सामान्य मराठी परिवार में जन्मे रजनीकांत ने अपनी मेहनत से टॉलीवुड ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड में भी काफ़ी नाम कमाया.
दक्षिण भारत समेत दुनिया भर में रजनीकांत को उनके प्रशंसक ‘भगवान’ का दर्जा देते हैं.
हालांकि, सोशल मीडिया पर कुछ लोग केंद्रीय मंत्री की इस घोषणा को राजनीति से जोड़कर भी देख रहे हैं.
पिछले दिनों ही रजनीकांत ने अपनी सियासी पारी शुरू करने का ऐलान किया था.
उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से बात भी की थी. लेकिन बाद में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने राजनीति में आने की अपनी योजना टाल दी थी.
रजनीकांत अपने प्रशंसकों पर आधारित इकाइयों को राजनीतिक पार्टी में तब्दील करने वाले थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले उन्होंने अपनी एंट्री को टाल दिया.
गुरुवार को जब केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रजनीकांत को पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की, तो प्रेस वार्ता में उनसे पूछा गया कि क्या तमिलनाडु चुनाव को देखते हुए रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के दिया जा रहा है?
इस सवाल पर जावड़ेकर उखड़ गए और उन्होंने कहा, “पाँच लोगों की ज्यूरी ने रजनीकांत के नाम की सिफ़ारिश की है. सामूहिक रूप से उनके नाम पर फ़ैसला लिया गया है. इसमें राजनीति कहाँ से आ गई. सवाल सही किया कीजिये. भारतीय सिनेमा में रजनीकांत के योगदान को देखिए.”