रमाकांत दुबे tv36 हिंदुस्तान भावभीनीं श्रद्धांजली अर्पित कर उन्हें ऋषि तुल्य महान् निरुपित बताया
स्वर्णकार समाज के वयोवृद्ध् वृषभान प्रसाद सोनी हमसे विदा हो अलौकिक प्रतिभा के धनी स्वर्णकार समाज के पूर्व केद्रीय सचिव देवरी (सारागांव) के पूर्व मालगुजार सहज सरल व्यक्तित्व के रुप में सदैव स्मरण किये जाते रहेगें।मंझली तालाब निवासी अक्षर साहित्य परिषद कवि सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजेश सोनार एवं राज्यपाल उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित शासकीय माध्यमिक विद्यालय बिंझरा प्रधान पाठक सर्वेश सोनी के पिताश्री वृषभानु प्रसाद सोनी का देहलोक गमन हो गया जिनकी अंत्येष्टि दयालबंद बिलासपुर स्थित मधुबन मुक्तिधाम में किया गया।वृषभान सोनी जीवन पर्यन्त समाज उत्थान और एकता भाईचारा स्थापित करने अथक परिश्रम से कार्य करते रहें ।
केद्रीय सचिव के रुप में संगठन को मजबूती देते हुए कार्य किया समाज के प्रति उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे, एक ही मुलाकात में हर किसी को अपना बना लेते थे। पिछलें कुछ वर्षों से शारीरिक रुप से अस्वस्थ चल रहें थे।उनका अवसान जांजगीर-चांपा कोरबा बिलासपुर के हित चिंतको के लिए एक अपूर्णीय क्षति हैं। वे जीते अपने अपने छ: पुत्रों पुत्र-वधूओंं राजेश सरस्वती,सर्वेश-चद्रकांति,देवेश-रेखा, चंद्रेश-विभा,इंद्रेश -बहन अखिलेख-संतोषी एवम् दो बेटी- दमाद चंद्रप्रभा-राजेश, सुधालता-राजेश के हंसते खेलाते परिवार को मां की कमी अंतिम समय तक नहीं होने दिया। 85 वर्षीय पुण्यात्मा वृषभानु सोनी का अंतिम संस्कार नारियल कोठी स्थित मधुबन मुक्तिधाम,बिलासपुर में शुभचिंतकों पारिवारजनों की मौजूदगी में हुआ। छ: पुत्रों दो-पुत्रियों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़कर उस अनंत यात्रा पर निकल पड़े हैं!जहां से कोई वापस नहीं आता भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित ।
शशिभूषण सोनी ने बताया स्वर्णकार क्रांति युवा और महिला मंच के संयुक्त तत्वाधान में गणेशी मंगल भवन चांपा में आयोजित सम्मान समारोह में उन्हें समाज गौरव रत्न से समाजसेवी अमरनाथ सोनी के हाथों सम्मानित किया गया था। इस अवसर पर पुर्व नपाध्यक्ष चांपा रामचरण सोनी,हेमंत सराफ,कन्हैयालाल सोनी,मोहित राम सराफ,द्वारिका प्रसाद स्वर्णकार,प्रदीप कुमार स्वर्णकार,शशिप्रभा सोनी , गिरजा-देवदत्त सोनी,डाक्टर रमाकांत सोनी,अधिवक्ता महावीर प्रसाद , डाक्टर शांति कुमार स्वर्णकार भी उपस्थित थे। वृषभान जी जीवन के अंतिम समय तक जिज्ञासु बने रहते तपस्वी संत समान जीवन जिया।
स्वर्णकार समाज विकास उत्थान पर विचार करते थे और इसी विषय को लेकर उनकी लेखनी भी चलती थी । जीवन के अंतिम समय तक समाज उत्थान की चर्चा परिजनों के कुशलक्षेम पूछते हुए अपना शरीर छोड़ा चिर परिचित भावभीनी श्रद्धाजंली अपित करते हुए कहा परमपिता परमेश्वर वृषभान सोनी के परिजन को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।