नई दिल्ली : अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने खूब सुनाया है। कमिटी की नियुक्ति से लेकर फिर डीआरआई की रिपोर्ट पर पूरा फैक्ट नहीं देने के लिए कोर्ट ने वरिष्ठ वकील को खूब सुनाया है। आपको बता दें कि इस पूरे मामले की जांच सेबी कर चुकी है। इसके बावजूद प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा था कि डीआरआई के अलर्ट करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। वरिष्ठ वकील के इस आरोप पर जज नाराज हो गए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण ने जनवरी 2014 में डीआरआई के द्वारा सेबी को लिखे एक पत्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि कोई कार्रवाई नहीं की गई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनके आरोपों का तथ्यों के साथ जवाब दिया, जिससे बेंच भी संतुष्ठ दिखी।
तुषार मेहता ने कहा कि डीआरआई ने 2013 में अडानी समूह के खिलाफ कुछ जांच शुरू की थी और सेबी को इसके बारे में सचेत किया था, लेकिन यह कहना गलत है कि वह इस मामले पर चुप्पी साधे रहा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सेबी ने डीआरआई के अलर्ट पर जांच की थी। 2017 में आरोप में कोई तथ्य नहीं मिलने के बाद जांच बंद कर दी गई। ट्रिब्यूनल ने भी आरोपों को खारिज कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
