नई दिल्ली:– प्रेमानंद जी महाराज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश ही नहीं, विदेशों से भी लोग वृंदावन के इस प्रसिद्ध संत से मिलने आते हैं। वे अक्सर सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं और अपने सत्संग के माध्यम से लोगों को सांसारिक व आध्यात्मिक जीवन की समझ देते हैं। सत्संग के बाद श्रद्धालु अक्सर अपनी कई तरह की समस्याएं लेकर उनके पास आते हैं, जिनका उत्तर संत बेहद सहजता से देते हैं।
हालांकि, इन दिनों संत प्रेमानंद जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उनकी नियमित पदयात्रा भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। इस खबर से लाखों भक्त चिंतित हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर दुखी हैं। हाल ही में उनके ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल @bhajanmarg_official पर एक वीडियो साझा किया गया, जिसे देखकर भक्त भावुक हो गए।
अब ऐसे दिख रहे हैं प्रेमानंद महाराज
वृंदावन के लोकप्रिय संत और राधा नाम के प्रचारक प्रेमानंद जी का एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि महाराज अपने अनुयायियों को ज्ञान दे रहे हैं, लेकिन उनकी आंखें पूरी तरह खुल नहीं पा रहीं। आंखें सूजी हुई हैं और चेहरा लाल नजर आ रहा है। आवाज भी कांप रही है, लेकिन इसके बावजूद वह रात को देर तक प्रवचन देने बैठे रहे।
उन्होंने क्या कहा?
प्रवचन के दौरान प्रेमानंद महाराज ने कहा, “यह हमारा अभ्यास बन चुका है। हम चाहे कितने भी कष्ट में हों, यह अभ्यास नहीं छूटता।” उन्होंने आगे बताया कि जब तक वे अपने आराध्य का स्मरण नहीं कर लेते, उन्हें चैन नहीं मिलता। उन्होंने यह भी कहा कि ईश्वर आपकी मेहनत देखकर प्रसन्न होते हैं, कामचोरी देखकर नहीं। जब ईश्वर आपकी तपस्या और श्रम देखते हैं, तभी वे आपका साथ देते हैं।
वीडियो देखकर भक्त हुए भावुक
जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। एक यूजर ने लिखा, “गुरुजी, आप थोड़ा विश्राम कर लीजिए।” दूसरे ने लिखा, “आपको इस हालत में देखकर मन बेहद दुखी हो गया।” एक भावुक यूजर ने लिखा, “पहले आपका चेहरा देखकर हम मुस्कुरा उठते थे, लेकिन आज आपको देखकर मन पीड़ित हो गया है।”
बीमारी का पता कब चला?
साल 2006 में प्रेमानंद महाराज को पेट में दर्द हुआ, जिसके बाद उन्होंने कानपुर में मेडिकल जांच करवाई। जांच में पता चला कि उन्हें पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज है, यह एक आनुवांशिक किडनी रोग है। इसके बाद वह दिल्ली गए, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं और जीवन सीमित हो सकता है।
इसके बाद उन्होंने काशी में कुछ समय शिव भक्ति की और फिर वृंदावन लौट आए। वृंदावन आकर उन्होंने राधा नाम का जप शुरू किया, जिसे वे आज भी लगातार कर रहे हैं। गौरतलब है कि उन्होंने अपनी किडनियों के नाम ‘कृष्णा’ और ‘राधा’ रखे हैं।