नई दिल्ली : पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर के गर्भधारण की खबरें इन दिनों सुर्खियों में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मार्च में वे अपने दूसरे बच्चे को जन्म दे सकती हैं। गौरतलब है कि सिद्धू मूसेवाला की मई 2022 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद माता-पिता वंश को बढ़ाने के लिए एक और बच्चे की चाहत में हैं। अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक चरण कौर ने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के माध्यम से गर्भधारण किया है।
इस खबर के सामने आने के बाद से लोगों के मन में आईवीएफ और इसको लेकर कई तरह के सवाल हैं।
क्या 60 और इससे अधिक की उम्र में भी मां बन सकते हैं? क्या इस उम्र में आईवीएफ से अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं? और मेनोपॉज की उम्र में गर्भधारण से शरीर पर क्या असर होता है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हमने भोपाल स्थित अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ डॉ दीप्ति गुप्ता से संपर्क कर इन स्थितियों को समझने की कोशिश की।
अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में मूसेवाला के चाचा ने बताया, आईवीएफ से गर्भधारण के बाद मार्च में चरण कौर दूसरी बार मां बनने की तैयारी में हैं। फिलहाल वह विशेषज्ञों की निगरानी में हैं और उनका-बच्चे का स्वास्थ्य ठीक है।
उम्र बढ़ने के साथ गर्भधारण की जटिलताओं को समझने से पहले आपके लिए ये जान लेना जरूरी है कि आईवीएफ क्या है जिसे गर्भधारण में जटिलाओं की शिकार महिलाओं के लिए वरदान के रूप में देखा जा रहा है।
डॉक्टर बताते हैं, कम से कम एक वर्ष तक प्रयास करने के बाद भी गर्भवती न हो पाने की स्थिति में आईवीएफ को कारगर तरीका माना जा रहा है। इस प्रक्रिया में महिला के अंडे को प्रयोगशाला में शुक्राणुओं के साथ निषेचित करके गर्भाशय में इंप्लांट किया जाता है। इसके परिणाम कितने अच्छे होंगे ये महिलाओं की सेहत, उम्र जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है।
सिद्धू मूसेवाला की मां 58 साल की हैं और इस उम्र में गर्भधारण ने लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या 60 की आयु में भी गर्भधारण किया जा सकता है?
इस बारे में डॉ दीप्ति कहती हैं, नियमानुसार अगर पति-पत्नी की उम्र का योग 100 साल से कम है तो आईवीएफ किया जा सकता है। जो लोग 50 के बाद आईवीएफ से गर्भधारण कराना चाह रही हैं उनमें से अधिकतर को डोनर अंडों की जरूरत हो सकती है। इसके लिए किसी कम आयु की महिला के अंडे लेकर उसे प्रयोगशाला में निषेचित कराया जाता है।
ऐसा करने की वजह यह है कि उम्र के साथ महिला के अंडे की क्वालिटी कम होती जाती है। ऐसे में कम आयु की महिला के एग्स डोनेट कराकर उसके निषेचन से 50 की आयु के बाद भी गर्भधारण किया जा सकता है।
डॉ दीप्ति बताती हैं, आईवीएफ दुनियाभर में काफी लोकप्रिय है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसकी सफलता दर कम हो सकती है। मेनोपॉज की उम्र में गर्भधारण की स्थिति में गर्भपात का खतरा अधिक होता है, ये बच्चे में क्रोमोसोमनल समस्याओं का भी कारण बन सकती है। इन जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए 50 से अधिक उम्र की महिलाओं में आईवीएफ से पहले दवाइयों और हार्मोनल थेरेपी के माध्यम से गर्भाशय को तैयार किया जाता है।
डॉक्टर बताती हैं, मेनोपॉज की उम्र में क्रोनिक बीमारियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज का खतरा भी अधिक होता है जिसके कारण भी जन्म से संबंधित दिक्कतें अधिक हो सकती हैं। डोनर एग से गर्भधारण के बाद भी गर्भधारण ‘हाई रिस्क’ वाला ही होता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के साथ-साथ कई प्रकार की पर्यावरणीय समस्याओं ने सामान्य गर्भधारण को काफी कठिन बना दिया है। स्वस्थ गर्भधारण के लिए 24-28 की आयु को बेहतर माना जाता है जिसमें अंडों की गुणवत्ता अच्छी होती है और गर्भधारण की जटिलताओं का जोखिम भी कम होता है। कई देशों में जहां महिलाएं 30-35 की उम्र में गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं वो कम उम्र में एग फ्रीजिंग करा लेती हैं, जिसका बाद में भी इस्तेमाल करके गर्भधारण किया जा सकता है।