रायपुर – राजधानी रायपुर स्थित MMI Narayana Multispeciality Hospital, जो अपने उन्नत इलाज और आधुनिक सुविधाओं के लिए जाना जाता है, इन दिनों एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक कमजोरी के चलते चर्चा में है। अस्पताल में जनसंपर्क अधिकारी (PRO) की सक्रिय मौजूदगी न होने के कारण मरीजों, परिजनों और मीडिया कर्मियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मरीज बोले – हमारी शिकायत सुने कौन?
अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले कई मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि यदि उन्हें इलाज से जुड़ी कोई शिकायत करनी हो, या किसी डॉक्टर की कार्यशैली पर सवाल हो, तो उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं होता। न तो अस्पताल परिसर में कोई शिकायत हेल्प डेस्क दिखता है और न ही कोई अधिकृत अधिकारी सामने आता है।
मीडिया को नहीं मिलता आधिकारिक जवाब
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि जब भी किसी आपात या गंभीर घटना पर अस्पताल का पक्ष जानने का प्रयास किया जाता है, तो कोई जिम्मेदार प्रवक्ता उपलब्ध नहीं होता। इससे खबरों की पुष्टि करना मुश्किल हो जाता है और अस्पताल की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।
प्रबंधन की चुप्पी बनी बड़ा सवाल
सूत्रों की मानें तो PRO पद लंबे समय से बने रहने से इसकी भूमिका अस्पष्ट है। न तो अस्पताल की वेबसाइट पर कोई संपर्क विवरण है और न ही परिसर में कोई सूचना पट्ट या हेल्पलाइन नंबर जो शिकायतकर्ता या मीडिया को मार्गदर्शन दे सके।
समस्या क्या है?
- जनसंपर्क अधिकारी (PRO) की स्पष्ट नियुक्ति नहीं
अस्पताल में मरीजों, मीडिया, या जनसामान्य के लिए कोई सक्रिय PRO नहीं दिखता, जो कि एक बड़ी प्रशासनिक चूक मानी जा सकती है। - मीडिया को जवाब नहीं
कोई पत्रकार या रिपोर्टर जब इलाज, शिकायत या घटना पर प्रतिक्रिया लेने पहुंचता है, तो अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई ज़िम्मेदार अधिकारी सामने नहीं आता। यह पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। - शिकायतों की सुनवाई नहीं होती
मरीज या परिजन जब शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं, तो उन्हें कोई औपचारिक PR/Grievance Cell नहीं मिलता। शिकायत लिखने को कहा जाता है लेकिन उसकी स्थिति पर कोई अपडेट नहीं मिलता। - आपातकालीन स्थितियों में भ्रम
जब किसी गंभीर मरीज के परिजन को इलाज या डॉक्टर की जानकारी चाहिए होती है, तब भी प्रोटोकॉल का पालन नहीं होता, जिससे जानकारी के अभाव में अफवाहें और असंतोष फैलता है।