नई दिल्ली:– छात्रों के कंधों से बोझ उतारने और पढ़ाई-परीक्षा का डर कम करने की दिशा में एक बड़ा फैसला लेते हुए सीबीएसई 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार कराएगा। इस निर्णय के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बदलाव का खुले दिल से स्वागत करते हुए इसे बहुत जरूरी कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से न केवल परीक्षा का तनाव कम होगा, बल्कि शिक्षा प्रणाली में लचीलापन भी आएगा और छात्रों में सीखने की रुचि बढ़ेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह फैसला नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की उस सोच को दर्शाता है, जो छात्र-केंद्रित और व्यावहारिक शिक्षा को प्राथमिकता देती है।
साल में दो बार होगी 10वीं की परीक्षा
सीबीएसई ने बुधवार को घोषणा की कि साल 2026 से कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी। पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी मई में होगी। फरवरी में होने वाली परीक्षा अनिवार्य होगी, जबकि मई में दी जाने वाली परीक्षा ऐच्छिक होगी, जिसका मकसद छात्रों को अपने अंकों में सुधार का अवसर देना है।
छात्रों का बोझ होगा कम
सबसे खास बात यह है कि अगर कोई छात्र दोनों चरणों की परीक्षा देता है, तो बोर्ड दोनों में से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को ही अंतिम अंक मानकर आगे की प्रक्रिया में इस्तेमाल करेगा। यह मॉडल वैश्विक शिक्षा पद्धतियों से मेल खाता है जहां छात्रों को गलतियों से सीखने और खुद को बेहतर करने का अवसर दिया जाता है।
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार यह फैसला रटकर परीक्षा पास करने की सोच से हटकर समझ पर आधारित मूल्यांकन की दिशा में एक बड़ा बदलाव है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, “यह कदम छात्रों को विकल्प, आत्मविश्वास और सुधार का मौका देता है, जिससे वे और बेहतर ढंग से आगे बढ़ सकेंगे।”