नई दिल्ली : सरकारी कर्मचारियों में ओल्ड पेंशन स्कीम की बढ़ती मांग को लेकर केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अपने राज्यसभा संबोधन के दौरान पुरानी पेंशन योजना के उल्लेख में राज्यों को पड़ोसी देशों में आर्थिक संकट की चेतावनी दी। जिसे हाल ही में कुछ राज्यों द्वारा फिर से अपनाया गया है, पीएम मोदी ने कहा कि राजनीतिक दलों को इसके कदमों के बारे में सोचना चाहिए और देश के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों को आर्थिक रूप से अनुशासित होना चाहिए।
बता दें कि चुनावी मुद्दा बन रहा है और कई राज्यों में विधानसभा चुनाव इस साल होने वाले हैं। फिर 2024 में आम चुनाव हैं। इससे पहले सरकार और पेंशन रेगुलेटर के अंदर तीन उपायों पर मंथन चल रहा है।
- पहला उपाय — ओल्ड पेंशन की तरह लास्ट सैलरी की आधी रकम
पहला उपाय यह है कि ओल्ड पेंशन की तरह लास्ट सैलरी की आधी रकम तक पेंशन तो मिले, लेकिन उसके लिए कर्मचारी से योगदान लिया जाए। ऐसी स्कीम आंध्र प्रदेश में चलाई जा रही है। सरकार और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हो चुकी है। - दूसरा उपाय — NPS में भी न्यूनतम पेंशन तय किया जाए
दूसरा उपाय यह है कि मौजूदा एनपीएस (NPS) में ही न्यूनतम पेंशन तय कर दी जाए। एनपीएस को लेकर शिकायत यह है कि इसमें कर्मचारी का योगदान तय है, लेकिन रिटर्न तय नहीं है। इस पर काम लगभग पूरा हो चुका है। लेकिन बोर्ड की मंजूरी बाकी है। हालांकि, संकेत मिल रहे हैं कि इसमें न्यूनतम रिटर्न 4 से 5 फीसदी हो सकता है। जिसे बेहद कम समझा जाएगा।
गारंटी के कारण लागत बढ़ जाएगी। वैसे बाजार ने बेहतर रिटर्न दिया तो न्यूनतम रिटर्न से 2-3 प्रतिशत ज्यादा तक पेंशन मिल सकती है। इसके अलावा मौजूदा एनपीएस में मेच्योरिटी की 60 फीसदी रकम कर्मचारी के हाथ में चली जाती है। अगर ये पैसा भी पेंशन में लग जाए, तो पेंशन की रकम बढ़ जाएगी।
- तीसरा उपाय — सबको न्यूनतम पेंशन की गारंटी
तीसरा उपाय यह है कि अटल पेंशन योजना की तरह सबको न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाए। PFRDA फिलहाल यह योजना चला रही है, जिसमें योगदान के आधार पर 1000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की पेंशन तय है। PFRDA अटल पेंशन योजना का दायरा सभी के लिए बढ़ाने और 5000 रुपये की लिमिट खत्म करने के लिए तैयार हो सकती है। बशर्ते गारंटी में किसी वित्तीय कमी की स्थिति में सरकार मदद का जिम्मा ले।
तीनों उपायों पर विचार करने का जिम्मा PFRDA के पास ही है, लेकिन मुश्किल यह है कि फिलहाल इसके नए चेयरमैन की नियुक्ति का इंतजार है। पिछले चेयरमैन का कार्यकाल हाल ही में पूरा हो गया। नए चेयरमैन की नियुक्ति के बाद इस पर तेजी से निर्णय लिया जा सकता है।
पीएम मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर ‘धन्यवाद प्रस्ताव’ बहस का जवाब देते हुए कहा, “हमने अपनी नीतियों में राष्ट्रीय प्रगति को ध्यान में रखा है और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को भी संबोधित किया है।” उन्होंने कहा, “हमारी नीति में राष्ट्रीय प्रगति और क्षेत्रीय आकांक्षा का सही संयोजन दिखाई देता है।”
गौरतलब है कि पांच राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने के अपने फैसले के बारे में केंद्र को सूचित कर दिया है।