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    बरेली शहर को जाना जाता है नाथ नगरी के नाम से भी…

    By Tv 36 HindustanJuly 17, 2023No Comments4 Mins Read
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    देश की राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 250 किलोमीटर दूर बसा शहर बरेली को नाथ नगरी के नाम से जाना जाता है. इस शहर को नाथ नगरी कहने के पीछे की अपनी धार्मिक मान्यताएं हैं. शहर की चारों दिशाओं में भगवान भोलेनाथ के सात प्राचीन नाथ मंदिर हैं. इन नाथ मंदिरों से लाखों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है. दूरदराज से भक्त यहां सातों नाथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं.वैसे तो सालों भर यहां के नाथ मंदिरों में शिवभक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन सावन और शिवरात्रि पर इन मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है.

    हरिद्वार, गढ़मुक्तेश्वर और कछला घाट से गंगाजल लाकर लाखों भक्त सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. मान्यता है कि नाथ मंदिरों में दर्शन से भगवान भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना को पूरा करते हैं.अलखनाथ मंदिर की पौराणिकताकिला क्षेत्र स्थित शहर के इस प्रसिद्ध मंदिर को अत्यंत प्राचीन मंदिर माना जाता है. मंदिर के महंत बाबा कालू गिरि महाराज कहते हैं-यहां पहले बांस का जंगल हुआ करता था. तब एक बाबा आए थे, जिन्होंने यहां एक बरगद के नीचे कई सालों तक तपस्या की. धर्म की अलख जगाई थी. पास में ही शिवलिंग भी स्थापित था.

    बाद में इसी बरगद के नीचे उन्होंने समाधि ले ली.चूंकि बाबा ने यहां अलख जगाने का काम किया था, इसीलिए इस मंदिर का नाम अलखनाथ रखा गया. आज की तारीख में यह शहर का सबसे प्रसिद्ध सिद्धस्थल के रूप में विख्यात है.Dhopeshwar Nath Templeबरेली का धोपेश्वरनाथ मंदिरबाबा त्रिवटी नाथ मंदिर का इतिहासयह मंदिर शहर के प्रेमनगर में है. यह मंदिर करीब छह सौ साल पुराना माना जाता है. कहते हैं यहां महादेव स्वयं प्रकट शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं.

    एक दिन पशु चराने आया एक चरवाहा यहां एक वट वृक्ष के नीचे सो गया. कहते हैं उसके सपने में स्वयं महादेव आये और कहा – वो इस वट वृक्ष के नीचे विराजमान हैं.जब उस चरवाहे की आंखें खुलीं तो वहां पर उसने विशाल शिवलिंग पाया. चरवाहा चकित और प्रसन्न हुआ. उसने शहर में जाकर लोगों को पूरी बात बताई. फिर वहां भक्तों का आना जाना शुरू हो गया.बाबा बनखंडी नाथ मंदिर का महात्म्यऐसा माना जाता है जोगी नवादा स्थित बाबा बनखंडी नाथ मंदिर की स्थापना राजा द्रुपद की पुत्री और पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने की थी. भोले बाबा का शिवलिंग बनाकर यहीं पूजा अर्चना करती थीं.

    द्वापर युग के मंदिर को मुस्लिम शासकों ने इस पर कई बार हमले किये. कहा जाता है आलमगीर औरंगजेब के सिपाहियों ने सैकड़ों हाथियों से शिवलिंग को जंजीरों से बांध कर नष्ट कराने की कोशिश की, परंतु शिवलिंग अपनी जगह से हिला तक नहीं और सारे हाथी मारे गए.5 हजार साल पुराना बाबा धोपेश्वर नाथ मंदिरशहर के कैंट के सदर बाजार स्थित बाबा धोपेश्वर नाथ मंदिर एक अलौकिक शक्ति स्थल है. इसका इतिहास भी करीब 5 हजार साल पुराना है. यानी यह मंदिर महाभारत काल में पांडव, कौरव और भगवान श्रीकृष्ण के युग का साक्षी है.

    कहते हैं महाभारत में पांडवों के एक गुरु ध्रूम ऋषि ने यहां तपस्या की थी. और अपने प्राण त्यागे थे. तब लोगों ने यहां उनकी समाधि बना दी. बाद में उस समाधि के ऊपर शिवलिंग की स्थापना की गई.मंदिर व्यवस्था कमेटी के सदस्य सतीश चंद मेहता का कहना है, पहले इसका वर्णन धोमेश्वर नाथ के रूप मे मिलता है, बाद में इसे धोपेश्वर नाथ के नाम के जाना गया. यहां के महंत शिवानंद गिरी गोस्वामी महाराज हैं.श्री तपेश्वरनाथ मंदिर की पौराणिकतासुभाष नगर स्थित श्री तपेश्वर नाथ मंदिर ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है. यहां सैकड़ों साल पहले चारों तरफ केवल जंगल हुआ करता था और यहां से गंगा बहा करती थी.

    ऐसी मान्यता है कि यहीं पर एक पीपल का पेड़ था, जिसके नीचे शिवलिंग प्रकट हुआ था. तब यहां पर भालू बाबा आए थे.ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने चार सौ साल तक इस स्थान पर तपस्या की थी. यहां के महंत बाबा लखनदास महाराज का कहना है कि भालू बाबा के बाद और भी कई संत आते रहे और तपस्या का क्रम बना रहा. इसी के चलते कालांतर में यह स्थल श्री तपेश्वर नाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ.श्री मढ़ीनाथ मंदिर का इतिहाससिटी के मढ़ीनाथ मोहल्ला स्थित श्री मढ़ीनाथ मंदिर भी काफी प्रसिद्ध मंदिर है. पश्चिम दिशा में स्थित यह प्राचीन मंदिर पांचाल नगरी का है.

    कहते हैं यहां एक बाबा आए थे, जिनके पास मणिधारी सर्प था. उन्होंने यहां तपस्या की थी. यहां के महंत विशाल गिरी का कहना है कि बाबा के पास मणिधारी सर्प होने के कारण यहां स्थापित मंदिर का नाम मढ़ीनाथ पड़ा. यह आज श्री मढ़ीनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. खास बात ये भी है कि यहां आसपास बसी घनी आबादी के मोहल्ले का नाम भी मढ़ीनाथ है.प्रसिद्ध हो गया श्री

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