नई दिल्ली:– इस साल दिवाली की तारीख को लेकर देशभर में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। कोई 20 अक्टूबर तो कोई 21 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात कर रहा था। अब हरिद्वार और ऋषिकेश के प्रमुख ज्योतिषाचार्यों ने इस संशय पर विराम लगाते हुए कहा है कि 21 अक्टूबर को दिवाली का पूजन करना ही श्रेष्ठ और शुभ रहेगा।
दीपों और खुशियों का महापर्व दिवाली को लेकर इस बार पंचांगों में भिन्न मत देखने को मिला। ज्योतिष गणना के अनुसार दो दिनों तक अमावस्या तिथि रहने से यह भ्रम पैदा हुआ कि लक्ष्मी पूजन कब किया जाए। लेकिन अब विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया है कि 21 अक्टूबर की शाम प्रदोष काल में ही लक्ष्मी-गणेश पूजन श्रेष्ठ रहेगा।
हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. मनोज त्रिपाठी ने बताया कि इस बार अमावस्या तिथि 20 और 21 अक्टूबर दोनों दिन रहेगी, लेकिन 21 अक्टूबर को सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त के बाद भी 3/4 पहर तक अमावस्या रहेगी। इसलिए उसी दिन पूजन करना शुभ रहेगा।
पं. उज्जवल शर्मा ने कहा कि सूर्यास्त के बाद 2.24 घंटे का प्रदोष काल पूजन के लिए पर्याप्त रहेगा। इस दौरान लक्ष्मी-गणेश की आराधना से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर की अमावस्या मंगल योग के साथ बन रही है, जो अत्यंत शुभदायी संयोग है।
ऋषिकेश के तीर्थपुरोहितों का मत
ऋषिकेश त्रिवेणी संगम के पंडित वेदप्रकाश ने बताया कि दीपों का यह महापर्व पूरे देश में उल्लासपूर्वक मनाया जाएगा। उन्होंने कहा —
दिवाली के पांच पर्व ऐसे मनाएं
पं. गोपाल पटवार के अनुसार दिवाली सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि पांच दिवसीय पर्व है —
19 अक्टूबर: धनतेरस
20 अक्टूबर: नरक चतुर्दशी
21 अक्टूबर: दिवाली (लक्ष्मी पूजन)
22 अक्टूबर: गोवर्धन पूजा
23 अक्टूबर: भाई दूज
इन पांचों पर्वों का पालन करने से संपूर्ण समृद्धि प्राप्त होती है।
कैसे करें दिवाली पूजन?
पं. मनोज त्रिपाठी बताते हैं —
“सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए, फिर माता लक्ष्मी का पूजन करें। सिर्फ लक्ष्मी पूजन करने से धन तो मिलता है, परंतु शुभता के लिए गणेश जी का आशीर्वाद जरूरी है।”
मिट्टी या चांदी की मूर्तियों से पूजन करें
खील-खिलौना का प्रसाद अर्पित करें
कलम-दवात, कुबेर और काली मां का पूजन भी शुभ होता है
विशेष योग
इस बार दिवाली पर अमावस्या और मंगल का शुभ योग बन रहा है, जिससे धन, संपत्ति और सौभाग्य की वृद्धि का उत्तम अवसर रहेगा।