नई दिल्ली :– अब आम लोगों को किफायती और गुणवत्तापरक जेनरिक दवाओं के लिए न तो भटकना पड़ेगा और न ही भीड़ में धक्के खाकर दवाइयां लेनी पड़ेंगी। सरकार ने महानगरों और दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के लिए जनऔषधि केंद्रों के बीच न्यूनतम दूरी मानक को वापस ले लिया है। इससे एक ही जगह कई सरकारी जनऔषधि केंद्र खोलने का रास्ता साफ होगा। लोगों के लिए जरूरी दवाइयां ज्यादा सुलभ होंगी और उनकी जेब से होने वाला खर्च कम होगा।
बता दें कि केंद्र सरकार ने महंगी ब्रांडेड दवाओं के जवाब में पूरे देश में जन औषधि केंद्र खोलकर आम लोगों को बड़ी राहत पहुंचाई थी। ये जनऔषधि केंद्रों की शुरुआत साल 2014 से हुई थी। इन केंद्रों पर जेनरिक दवाएं मिलती हैं और ये ब्रांडेड कंपनियों की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती मिल जाती हैं, जबकि गुणवत्ता और प्रभावशीलता के मामले में महंगी ब्रांडेड दवाओं के बराबर ही होती हैं।
दूरी के नियम को खत्म करने की बात
इस योजना को लागू करने के लिए जिम्मेदार फार्मास्यूटिकल्स एंड एंप और मेडिकल डिवाइस ब्यूरो आफ इंडिया (पीएमबीआइ) के आंतरिक दस्तावेजों के हवाले से एक रिपोर्ट में दूरी के नियम को खत्म करने की बात कही गई है।
दस लाख से कम आबादी वाले शहरों में नियन लागू रहेगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में ज्यादा जनसंख्या घनत्व को देखते हुए जन औषधि केंद्रों तक लोगों की पहुंच, समान वितरण और व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम दूरी की जरूरतों को खत्म किया जा रहा है। सरकार ने जन औषधि केंद्रों को संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए दो केंद्रों के बीच न्यूनतम एक किलोमीटर की दूरी का नियम बनाया था। हालांकि, दस लाख से कम आबादी वाले शहरों में अब भी न्यूनतम एक किलोमीटर दूरी वाला मानक लागू रहेगा।
जन औषधि केंद्रों को सरकार का समर्थन
जन औषधि केंद्रों को सरकार का समर्थन योजना के तहत सरकार जन औषधि केंद्र खोलने पर 20,000 रुपये तक की मासिक प्रोत्साहन राशि और दो लाख तक की एकमुश्त सहायता देती है। दवाइयों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सभी जन औषधि दवाएं उन्हीं कंपनियों से खरीदी जाती हैं जो डब्ल्यूएचओ-जीएमपी (विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक) का पालन करती हैं।