नई दिल्ली:– केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब उन 34 दवाओं के उत्पादन, कारोबार और आयात पर पूरी तरह रोक लगा दी है, जिनका इस्तेमाल अक्सर पशुओं में किया जाता है। इन दवाओं में 15 तरह की एंटीबायोटिक, 18 एंटीवायरल और 1 एंटीप्रोटोजोल दवा शामिल हैं। यह प्रतिबंध अंडा देने वाले पक्षियों, दूध देने वाले पशुओं, मवेशियों, भैंसों, भेड़ों, बकरियों, सूअरों और मधुमक्खियों पर लागू होगा। अगर कोई इन दवाओं का इस्तेमाल करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
क्यों लगी रोक?
स्वास्थ्य विभाग की जांच में पता चला कि पशुपालक इन दवाओं का इस्तेमाल संक्रमण रोकने, भूख बढ़ाने और दूध उत्पादन ज्यादा करने के लिए करते हैं। लेकिन इन दवाओं का असर मांस, दूध और अन्य डेयरी उत्पादों के जरिए इंसानों तक पहुंच रहा है। इंसानों के शरीर में जब यह दवाएं जाती हैं तो कई बीमारियों पर असर करने वाली दवाएं काम करना बंद कर देती हैं, क्योंकि शरीर उनमें प्रतिरोधक क्षमता बना लेता है।
किन दवाओं पर बैन?
प्रतिबंधित दवाओं में यूरिडोपेनिसिलिन, सेफ्टोबिप्रोल, कार्बापेनेम्स, मोनोबैक्टम, ग्लाइकोपेप्टाइड्स, ऑक्साजोलिडिनोन्स, फिडैक्सोमिसिन, एरावासाइक्लिन जैसी एंटीबायोटिक्स शामिल हैं। एंटीवायरल दवाओं में अमैन्टाडाइन, फेविपिराविर, मोलनुपिराविर, ओसेल्टामिविर, रिबाविरिन समेत 18 दवाएं आती हैं। एंटीप्रोटोजोल्स में नाइटाजोक्सानाइड पर रोक लगाई गई है।
सजा और विकल्प
हरियाणा के ड्रग कंट्रोलर ललित गोयल के अनुसार, अगर कोई इन दवाओं का उपयोग करता पाया गया तो उसे तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। विभाग ने सभी केमिस्ट और ड्रग इंस्पेक्टरों को निर्देश जारी कर दिए हैं। सरकार का कहना है कि पशुओं के लिए इन दवाओं के सुरक्षित विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं।