नई दिल्ली:- छोटे बच्चों और शिशुओं की देखभाल करते समय घर की बड़ी-बूढ़ी महिलाओं से कई तरह की टिप्स और सलाहें मिलती हैं। जैसे बच्चे को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए या उनके लिए किस तरह के कपड़े या बिछौने खरीदने चाहिए। इसी तरह बच्चे को होने वाली छोटी-छोटी समस्याओं जैसे पेट दर्द, गैस से आराम दिलाने के लिए दादी-नानी के नुस्खे हमेशा से फॉलो किए जाते रहे हैं जबकि, बच्चे के खान-पान, नहाने और उसकी तेल मालिश का ख्याल भी घर के बड़े रखते हैं। इन सबमें परम्परागत तरीकों का इस्तेमाल हमेशा से किया जाता रहा है। इसी तरह का एक ट्रेेडिशनल तरीका है बच्चे के कान और नाक में तेल डालना, जो छोटे शिशुओं की मालिश करते समय अक्सर दोहराया जाता है। लेकिन, ऐसा करने से बच्चे को कोई फायदा नहीं होता बल्कि बच्चे को कई तरह से नुकसान ही पहुंचता है। आइए जानें बच्चों के कान में तेल डालना क्यों है नुकसानदायक.
बच्चों के कान में तेल क्यों नहीं डालना चाहिए
कान में हो सकता है संक्रमण
एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चों के कान में कभी भी तेल नहीं डालना चाहिए क्योंकि इससे उनके कानों में गम्भीर इंफेक्शन हो सकता है। जानकारों का कहना है कि तेल में अलग-अलग तरह के बैक्टेरिया होते हैं जो कानों के अंदरूनी हिस्से में पहुंचने के बाद इंफेक्शन का रिस्क बढ़ा सकते हैं। कान में तेल डालने से वहां गंदगी और धूल-मिट्टी बैठने का रिस्क भी बढ़ सकता है। जिससे संक्रमण की समस्या काफी गम्भीर बन सकती है।
इसके अलावा कानों की बनावट इस तरह की होती है कि कान, नाक और आंखें एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। कानों का संक्रमण आंखों और नाक तक भी फैल सकता है जिससे कानों के साथ-साथ आंख और नाक से जुड़े कई अन्य प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं।
कान के परदे को हो सकता है नुकसान
कान में तेल डालने का एक नुकसान यह भी है कि इससे कानों के परदे या इयरड्रम को नुकसान पहुंच सकता है जिससे हीयरिंग से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं और गम्भीर स्थितियों में बहरेपन का खतरा भी बढ़ सकता है।
कानों में बन सकता है पस
तेल डालने के बाद कानों में नमी और चिपचिपापन बढ़ जाता है। इससे गंदगी, धूल-मिट्टी और अन्य बैक्टेरिया जमा हो सकते हैं। इन सबके चलते कानों से पस निकल सकता है।
कानों की साफ-सफाई में आ सकती है परेशानी
कानों में बननेवाली वैक्सकानों की सफाई का नेचुरल तरीका है लेकिन, जब कानों में तेल डाला जाता है तो यह वैक्स और गंदगी को साफ करना पाना भी मुश्किल हो जाता है, जिससे कानों में बीमारियों का रिस्क बढ़ने लगता है।