गुवाहाटी:- असम के गुवाहाटी को पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार कहा जाता है. वैसे तो यह शहर काफी व्यस्त है लेकिन जीवन के इस आपाधापी के बीच एक शख्स ऐसा भी है, जिन्होंने यहां स्वर्ग का एक शांत कोना बनाया है. एक ऐसा छत जहां, हवा में पंख फुसफुसाते हैं.
हम बात कर रहे हैं डॉक्टर मनीष बोरा की, जो एक पशु चिकित्सक और एनिमल लवर हैं. उन्होंने सिक्स माइल स्थित अपने घर की छत को 200 से अधिक सजावटी कबूतरों के लिए अभयारण्य में बदल दिया है. डॉ मनीष बोरा, एक पशु चिकित्सक और जानवरों के आजीवन प्रेमी, ने सिक्स माइल में अपने घर की छत को 200 से अधिक सजावटी कबूतरों के लिए एक सेंचुरी यानी की अभयारण्य में बदल दिया है.
साल 2017 में उन्होंने कबूतरों की एक जोड़ी लाकर घर पर रखा था. उनका पक्षियों को पालने का शौक कब जुनून में बदल गया पता ही नहीं चला. कबूतरों की पहली जोड़ी जिसे वह पहली बार घर लाए थे, उसे प्यार से मसक्कली कहते हैं. उन्होंने उसके बाद भारत और अन्य कई देशों से कबूतर मंगवाएं. उनके यहां 30 विदेशी नस्ल वाले कबूतर हैं.
उन कबूतरों के नाम किसी कविता की पंक्तियों जैसे लगते हैं. जैसे जैकोबिन, चाइनीज बाउल, कैपुचिन, ओल्ड जर्मन क्रॉपर, फ्रिलबैक, बोखारा ट्रम्पेटर, मैगपाई और ब्यूटी होमर. प्रत्येक पक्षी, अपनी अनूठी आवाज, पंख और मुद्रा के साथ, दूर की भूमि और सदियों के पालतूपन की विरासत को अपने साथ लेकर चलता है.
मद्रास हाईफ्लायर और गिरिबाज जैसे पक्षी घंटों तक उड़ते हैं. उनके घर की छत पर बने इस सेंचुरी में रोमक रोली और रंट जैसे कबूतर भी है. कबूतरों में पाउटर और बुडापेस्ट शॉर्ट फेस भी हैं. वहीं, इस सेंचुरी में ओल्ड जर्मन क्रॉपर आपको शान से खड़ा दिख जाएगा. जबकि मैगपाई की काली-और-सफेद सुंदरता आपकी आंखों को चकाचौंध कर देंगी.
2018 में डॉ. बोरा ने पशु चिकित्सा कॉलेज में दाखिला लिया था. हाथ में वैज्ञानिक ज्ञान और जानवरों के प्रति स्नेह से भरे दिल के साथ, उन्होंने पक्षियों को और अधिक व्यवस्थित तरीके से पालना शुरू किया. समय के साथ, उन्होंने असम के अलावा कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और केरल जैसे शहरों से भी नस्लों के कबूतर मंगवाए.
उन्होंने कहा कि, कबूतर पालने का काम उन्होंने बड़े ही प्यार से शुरू किया था. हालांकि, अब यह आय का एक स्थायी स्रोत भी है. उन्होंने बताया कि, इन पक्षियों की डिमांड न केवल असम में है बल्कि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और मणिपुर में भी है.