नई दिल्ली:- रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने गुरुवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान एक अहम मुद्दा उठाया. उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट और अन्य खनिज खदानों की बदहाल स्थिति का गंभीर मामला प्रकाश में लाने का काम किया. उन्होंने अपने प्रश्न के माध्यम से खनन मंत्री का ध्यान इस ओर आकर्षित किया और सरकार से इस पर तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की है.
लोकसभा में बृजमोहन अग्रवाल ने क्या कहा ?: अग्रवाल ने सदन में बताया कि छत्तीसगढ़ देश का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है, जहां कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी सीसीएल सहित कई सरकारी और निजी कंपनियां बड़े पैमाने पर खनिज खनन कर रही हैं. भारत में जितना कोयला खनन होता है, उसमें सबसे अधिक खनन छत्तीसगढ़ में होता है। एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान भी इसी राज्य में स्थित है.
नहीं किया जा रहा रिक्लेमेशन: उन्होंने कहा कि खनन कार्य समाप्त होने के बाद खदानों का रिक्लेमेशन नहीं किया जा रहा है. जिससे गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. वर्तमान में राज्य में ऐसी 100 से अधिक खदानें हैं. NMDC समेत अन्य निजी कंपनियों द्वारा संचालित खदानों की स्थिति एक जैसी है, जहां खनिज निकालने के बाद खदानों को छोड़ दिया जाता है. ऐसी खदानें पर्यावरणीय संकट और जल प्रदूषण के साथ ही मानव जीवन एवं पशुओं के लिए खतरा है.
“ऐसी खदानों से कई समस्याएं हो रही”: सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि, बंद हो चुके ऐसे खदानों में बरसात का पानी भर जाता है, जिससे भूजल स्तर और जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं. ट्यूबवेल और अन्य जल स्रोतों से आने वाला पानी गंदा हो रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को पीने के स्वच्छ जल की समस्या हो रही है. खनन से उत्पन्न रासायनिक अपशिष्ट और जहरीले तत्व भूजल में मिलकर गंभीर बीमारियां पैदा कर रहे हैं.
“मानव जीवन एवं पशुओं के लिए खतरा”: उन्होंने कहा कि गहरे खदानों में लोगों के गिरने से दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा है. हाल ही में एक बस दुर्घटना में 10 से अधिक मजदूरों की मृत्यु हो चुकी है. परित्यक्त खदानों के कारण भूस्खलन और आकस्मिक दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है. खनन कंपनियां खनिज निकालने के बाद खदानों को यूं ही छोड़ देती हैं, जिससे वह भूमि अनुपयोगी बन जाती है. छत्तीसगढ़ में देश की कुल सीमेंट उत्पादन का 26% निर्माण होता है, लेकिन सीमेंट कंपनियां भी खदानों को दोबारा भरने या समतल करने की जिम्मेदारी नहीं निभा रही हैं.
सरकार से समाधान की मांग: इस मुद्दे पर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है. जिसमे सभी खनन कंपनियों को कानूनी रूप से बाध्य किया जाए कि वे खनन कार्य समाप्त होने के बाद खदानों का रिक्लेमेशन करें. परित्यक्त खदानों को समतल कर उनमें बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाए और इन्हें राज्य सरकार को हस्तांतरित किया जाए ताकि उनका उचित उपयोग हो सके.
सभी बंद हो चुके और परित्यक्त खदानों का एक व्यापक सर्वेक्षण कराया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी खदान यूं ही खुली न छोड़ी जाए. साथ ही खनन कार्य समाप्त होने के बाद कंपनियों से खदानों की पुनर्स्थापना सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त नीति बनाई जाए. पर्यावरणीय क्षति को रोकने के लिए प्रदूषित जल स्रोतों की शुद्धिकरण योजना लागू की जाए. भूजल की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं- बृजमोहन अग्रवाल, सांसद, रायपुर
बृजमोहन अग्रवाल ने यह प्रकाश डाला कि यह मुद्दा राज्य के पर्यावरण, नागरिकों के जीवन और भूमि के पुनः उपयोग से जुड़ा हुआ है. उन्होंने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर आग्रह किया कि इस समस्या के समाधान के लिए जल्द से जल्द जरूर और प्रभावी कदम उठाए जाएं.
