भोपाल:– आज का दिन शेयर बाजार के लिए शुरू से ही चिंताओं का बोझ लेकर आया. जैसे ही कारोबारी घंटियां बजीं, सेंसेक्स लगभग 150 अंक टूटते हुए 83,350 के स्तर पर खुला. इसी इस दौरान निफ्टी में लगभग 50 अंक की गिरावट दर्ज हुई और वह 25,550 पर कारोबार करने लगा. हालांकि कुछ देर बाद निफ्टी और सेंसेक्स के शेयर चढ़े.
शेयर बाजार में सेंसेक्स +240.45 (0.29%) चढ़कर 83,708.10 में कारोबार कर रहा है. वहीं निफ्टी में मामूली बढ़त +71.65 (0.28%) है, जो 25,656.95 पर कारोबार कर रहा है. निवेशकों को मार्केट में तेज छलांग की उम्मीद है.
ग्लोबल बाजारों की तस्वीर
दक्षिण कोरिया का कोस्पी सूचकांक 0.029% की मामूली बढ़त के साथ 3,749.44 पर रहा.
जापान का निक्केई लगभग 0.93% गिरकर 47,827.31 पर बंद हुआ.
हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 1.51% की गिरावट के साथ 25,496.32 पर रहा.
चीन का शंघाई कंपोजिट 0.99% नीचे आकर 3,877.42 पर पहुंच गया.
इस तरह की वैश्विक नकारात्मकता ने भारत के शेयर बाजार पर भी असर डाला है.
निवेशकों का भरोसा क्यों डगमगाया?
कुछ प्रमुख आंकड़ों पर एक नजर डालें:
16 अक्टूबर को विदेशी निवेशकों ने ₹997.29 करोड़ के शेयर खरीदे, जबकि घरेलू निवेशकों ने ₹4,076.20 करोड़ की खरीदारी की.
हालांकि अक्टूबर महीने में अब तक, विदेशी निवेशकों ने कुल ₹2,890.32 करोड़ के शेयर बेचे हैं. यह दर्शाता है कि वे फिर से सतर्क और नकारात्मक रुख अपनाने लगे हैं.
सितंबर में विदेशी निवेशकों की बिकवाली और अधिक तेज रही थी, उन्होंने ₹35,301.36 करोड़ के शेयर बेचे, जबकि घरेलू निवेशकों ने ₹65,343.59 करोड़ की खरीदारी की.
ये आंकड़े यह संकेत देते हैं कि विदेशी पूंजी फिलहाल भारत से बाहर जा रही है और निवेशकों का भरोसा थोड़ा डगमगा गया है.
बाजार में कल की तेजी थी
कल यानी 16 अक्टूबर को बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली थी. सेंसेक्स 862 अंक (1.04%) की उछाल के साथ 83,468 पर पहुंचा था, जबकि निफ्टी 262 अंक (1.03%) की बढ़त के साथ 25,585 तक गया था.
सेंसेक्स की 30 में से 28 कंपनियों के शेयरों में बढ़त देखी गई थी. कोटक महिंद्रा बैंक और टाइटन जैसी कंपनियों के शेयरों में 1% से अधिक की बढ़त दर्ज हुई थी.
क्या संकेत हैं आगे के लिए?
वैश्विक डर: अमेरिका-चीन तनाव, व्यापार टैरिफ और वैश्विक मूल्य अस्थिरता जैसी चुनौतियों ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है.
विदेशी निकासी: विदेशी निवेशकों का पूंजी निकालना वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में विश्वास की कमी का संकेत है.
घरेलू समर्थन: घरेलू निवेशक अब भी बाजार को सहारा दे रहे हैं, लेकिन वे अकेले लंबे समय तक बाजार को स्थिर नहीं रख सकते।