
एक कहावत चरितार्थ वर जीत लिया कानी, वर भावर घूमे तब जानी ऐसा ही कुछ वकया मऊगंज चिकित्सालय में देखने को मिल रहा है जहां मऊगंज क्षेत्र के विधायक प्रदीप पटेल अस्पताल की अनियमितताओं को लेकर धरने पर बैठे है वहीं तथाकथित लोगों के पेट खराब हो चुके है अब स्थिति ना रहा जाए ना सहा जाए वाली बन चुकी है।
मऊगंज विधायक फिर से लगभग २ महीने बाद अस्पताल के निरीक्षण के लिए पहुंचे साथ ही सूत्रों की मानें तो 25 मार्च को नवनिर्मित भवन का लोकार्पण भी होना था जब मऊगंज विधायक मौके पर पहुंचे तो भवन को अधूरा पाया जिसके बाद चासमादीदों की माने तो ओपीडी में उस वक्त एक ही डॉक्टर मौजूद दूसरा सरपट भागता चला आ रहा था जबकि मऊगंज सिविल अस्पताल में 8 डॉक्टरों की तैनाती है साथ ही बीएमओ भी नदारद मिले जिसके बाद विधायक मऊगंज में ओपीडी में बैठकर वरिष्ठ अधिकारियों को फोन लगाया तब जाकर तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंचे।

नवीन अस्पताल का निर्माण सन 2017 में शुरू हुआ था मऊगंज सिविल अस्पताल में प्रवंधन की कार्यशैली बीते समय में भी सवालों के घेरे में रही है कईयों के उपर कार्यवाही भी हुई। 25 मार्च को भवन के लोकार्पण की तारीख जिम्मेदारों के द्वारा दी गई थी तो अभी तक निर्माण पूरा क्यों नहीं हुआ?
अस्पताल को लोकहित के लिए बनाया जा रहा है जब प्रदीप पटेल सत्ता में नहीं थे उसके लिए भाजपा विधायक का धरने पर बैठना गलत कै क्या लोकतंत्र के रखवालों को शासन प्रशासन में अंतर नहीं पता
तो इसपर धरने को आराम से और आसान भाषा में समझिए की धरना मतलब क्या होता है?
धरना किसी के प्रति असंतोष व्यक्त करने का एक शांतिपूर्ण तरीका है जिसमें अपने या जनता के हितों की मांग शांतिपूर्ण तरीके से की जाती है गांधी भी आज़ादी की लड़ाई में इसका सहारा लेते थे।।
अब आइए बात करते है कि सत्ताधारी विधायक को इसका सहारा क्यों लेना पड़ा हम जिस देश में रहते है उसका नाम भारत है यहां पर एक लोकतंत्र है यानी जनता को सर्वोपरि माना जाता है एवं विधायक जनता का प्रतिनिधि होता है या यूं कहें कि जनता सरकार के बीच की एक कड़ी है जिसको जनता चुनकर लाती है एवं वह किसी भी दल का हो सकता है।
विधायक की शक्तियां सीमित होती है उसके पास जनशक्ति अधिक होती है इसलिए जनप्रतिनिधि कहा जाता है।
बात जनता के अधिकारोंकी आती शांतिपूर्ण सरल ढंग से अपनी आवाज उठाए ।
क्या मऊगंज के अस्पताल प्रबंधन की क्लास लेने से चिकित्सकीय कार्य प्रभावित होंगे ?
बताते चलें विधायक मऊगंज के धरने पर बैठने के तुरंत बाद सीएमएचओ रीवा सहित तमाम प्रशासनिक आला अधिकारी मौके पर पहुंच अस्पताल प्रबंधन की जा रही अनियमितताओं से अवगत हुए चिकित्सकीय सेवाएं प्रभावित न हो सुचारू संचालन हेतु परामर्श दिया।

पिछले दिनों देश कोरोना जैसी महामारी से गुजरा है जिसमें ना जाने कितने काल के गाल में समा गए आगे भी इन स्थितियों के बनने से नकारा नहीं जा सकता आखिर क्यों हम इसका समर्थन नहीं करते हम यह सवाल नहीं पूछते की पिछले 05 सालों में अस्पताल क्यों नहीं बन सका ?
क्या चिकित्सा जैसी सेवा पर भी दोगली राजनीति करना शोभनीय है क्या हमारा जमीर इतना मर चुका है कि हमें कोरोना काल में मृत लोगों की चीत्कारें सुनाई देना बंद हो चुकी है या हम सिर्फ अपना काम बनता की रणनीति अपनाकर चलते जाएंगे और आने वाली पुस्तों को भी यही सिखाकर जाएंगे कि क्या कहना है सदन में भी जब कोई जनहित का मुद्दा होता है तो तमाम विपक्षी पार्टियां आगे आकर समर्थ करती है लेकिन वही जब बात धरातल की आती है तब हम सब क्यों मौन हो जाते है सोचना होगा जागना होगा।