नई दिल्ली:– भारत जैसे आध्यात्मिक और धार्मिक देश में रुद्राक्ष सिर्फ एक बीज नहीं बल्कि एक आस्था, एक विश्वास और एक शक्ति का प्रतीक है. रुद्राक्ष के विभिन्न प्रकार होते हैं, लेकिन इनमें एक मुखी रुद्राक्ष को सबसे दुर्लभ और दिव्य माना जाता है. इसे भगवान शिव का प्रत्यक्ष स्वरूप कहा जाता है और इसके प्रभावों को लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं. इसकी दुर्लभता और प्रभावशीलता ही इसे करोड़ों रुपये मूल्यवान बनाती है. आज के समय में जब लोग आस्था और विज्ञान के बीच संतुलन खोज रहे हैं, एक मुखी रुद्राक्ष की लोकप्रियता और रहस्य और भी रोचक बन जाता है.
दुर्लभ होता है एक मुखी रुद्राक्ष
लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान ऋषिकेश के स्थानीय निवासी ज्योतिषी अजय कोठरी ने कहा कि एक मुखी रुद्राक्ष का शाब्दिक अर्थ है – जिसमें केवल एक ही प्राकृतिक रेखा या मुख होता है. यह रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ होता है और बहुत ही सीमित क्षेत्रों में पाया जाता है, विशेषकर भारत के कुछ हिस्सों और नेपाल में. पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति शिव तत्व से जुड़ता है, उसे मानसिक शांति, आत्मिक बल और उच्चतर चेतना प्राप्त होती है. यह रुद्राक्ष विशेष रूप से ध्यान और साधना करने वाले व्यक्तियों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है. ऐसा माना जाता है कि यह व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करता है.
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