कोरोना महामारी के बाद से बच्चों और किशोरों में टाइप 1 डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक दशक पहले तक 40 की उम्र के बाद के लोगों में देखने को मिलती थी। लेकिन बदलती लाइफस्टाइल, प्रदूषण और खराब खानपान के कारण बीते कुछ सालों में ये बीमारी 40 से भी कम उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ी है। हालिया समय में डायबिटीज से बच्चे भी ग्रसित हो रहे हैं। समय रहते अगर बच्चों में डायबिटीज का पता न चले तो यह एक गंभीर समस्या बन सकती है। आइए जानते हैं बच्चों को डायबिटीज कैसे होती है, इसके लक्षण और बचाव के तरीके।
बच्चों को डायबिटीज कैसे होती है?
बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का सही कारण अभी तक पता नहीं लगा है लेकिन टाइप 1 डायबिटीज वालों में ज्यादातर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जो आम तौर पर हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ती है, वह गलती से पैंक्रियाज में इंसुलिन-उत्पादक (आइलेट) कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। ऐसा देखा गया है कि इसमें आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारक अहम भूमिका निभाते हैं।
बच्चों में शुगर के क्या लक्षण होते हैं?
- बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज होने पर उन्हें बार बार पेशाब आती है। हाई शुगर लेवल की वजह से खून में टॉक्सिक तत्व घुल जाते हैं, जिसे शरीर के निकालने के लिए किडनी ज्यादा पेशाब बनाती है और मरीज को बार-बार पेशाब आती है।
- ज्यादा पेशाब के कारण प्यास भी ज्यादा लगती है। ऐसे में अगर आपका बच्चा बार बार पानी मांगता है तो यह डायबिटीज का लक्षण हो सकता है।
- बच्चे को थकान और कमजोरी महसूस होना।
- डायबिटीज के शिकार बच्चे नींद में बिस्तर भी गीला कर सकते हैं।
डायबिटीज से बचाव
- बच्चे का वजन मेंटेन रखें, क्योंकि ये insulin resistance की समस्या को बढ़ाता है। बच्चा अगर ओवरवेट है तो इससे डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
- बच्चे को एक्टिव रखें ताकि और उसे खेलने और एक्सरसाइज के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से इंसुलिन प्रतिरोध का खतरा कम हो जाता है।
- चीनी के ज्यादा सेवन से बच्चे को बचाएं। हाई शुगर फूड के सेवन से बच्चे का वजन बढ़ता है जिससे इंसुलिन से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं।
- बच्चे की डाइट का खास ख्याल रखें।
