नई दिल्ली:– सहारा इंडिया के प्रबंधक द्वारा सरकार, न्यायालय और प्रशासन को पिछले 12 वर्षों से लगातार गुमराह करने के मामले में अब 14 अक्टूबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय में अहम सुनवाई होने जा रही है। इस मामले की जानकारी विश्व भारती जनसेवा संस्थान ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में दी है।
संस्थान के राष्ट्रीय सचिव नागेन्द्र कुमार कुशवाहा ने बताया कि सहारा इंडिया ने देश के 13 करोड़ से अधिक निवेशकों से सरकार की सहमति के बिना करोड़ों रुपए जमा कराए और यह पैसा अब तक वापस नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि लगातार 13 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हो रही है, जिसके चलते करीब 10,000 से ज्यादा निवेशक असमय मौत का शिकार हो चुके हैं।
संस्थान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के माध्यम से सरकार से यह मांग की गई है कि सहारा की संपत्तियों का निस्तारण कर निवेशकों का पैसा लौटाया जाए। अदालत में सुब्रत राय सहारा को इस मामले की सुनवाई के दौरान उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।
विज्ञप्ति में बताया गया कि ईडी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सहारा इंडिया प्रमुख ने देशभर में 1.74 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि जमा कराई, जिसमें से करीब 40,000 करोड़ रुपए की राशि अब भी बकाया बताई गई है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि यह राशि सरकारी विभागों के पास “Joining Point” के रूप में दिखाई गई है, लेकिन संबंधित विभागों ने इसे स्वीकार नहीं किया।
संस्थान ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के कुछ विभाग इस मामले में लापरवाही बरत रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार निवेशकों की राशि लौटाने की प्रक्रिया तेज की जानी चाहिए।
नागेन्द्र कुमार कुशवाहा ने कहा कि यदि सरकार और जांच एजेंसियां गंभीरता नहीं दिखातीं, तो यह देश के करोड़ों गरीब निवेशकों के साथ सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला साबित होगा।