छत्तीसगढ़:– भाषा सिर्फ विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम नहीं होती है, बल्कि वह किसी भी संस्कृति की आत्मा होती है. छत्तीसगढ़ी भाषा अपनी मिठास, सरलता और अनूठी शब्दावली के लिए जानी जाती है. इस भाषा में कुछ ऐसे शब्द भी हैं, जो पहली बार सुनने पर आपको न सिर्फ सोचने पर मजबूर कर देंगे, बल्कि शायद हंसने पर भी. ये वे शब्द हैं जिनका शाब्दिक अर्थ भले ही बहुत गहरा न हो, लेकिन बोलचाल में वे जान फूंक देते हैं. स्थानीय लोग इन्हें सहजता से प्रयोग करते हैं, लेकिन बाहरी व्यक्ति के लिए ये किसी पहेली से कम नहीं होते हैं.
यह शब्द बेढंगे, बेतुके या अजीब व्यवहार वाले व्यक्ति या वस्तु के लिए इस्तेमाल होता है. इसका हिंदी में कोई सीधा और सटीक अनुवाद मिलना मुश्किल है. जब कोई अजीबोगरीब हरकत करे या अटपटा दिखे, तो छत्तीसगढ़ी में कहा जाता है, “का अलकरहा काम करथे” (क्या बेढंगा काम कर रहा है) यह सिर्फ बेतुकापन नहीं, बल्कि एक खास तरह की चिढ़ाने वाली बेढंगी हरकत को दिखाता है.
इस शब्द का अर्थ है दांत दिखाते हुए हंसना या खीसें निपोरना. यह सिर्फ सामान्य हंसी नहीं, बल्कि एक ऐसी हंसी को दिखाता है जिसमें थोड़ा व्यंग्य, शर्मिंदगी या खीझ मिली हो. जैसे, जब कोई बात पर सिर्फ दांत निकाले और हंसे तो कहते हैं कि “कए-कए दांत नीपोरत हस”
इसका सीधा मतलब ‘पहाड़’ है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह अक्सर छोटी पहाड़ी या टीले के लिए भी इस्तेमाल होता है. यह हिंदी के विशालकाय ‘पहाड़’ से थोड़ा अलग और अधिक अपनापन का अनुभव देता है, जो ग्रामीण परिदृश्य का अभिन्न अंग है.
यह सिर्फ ‘सुंदर’ नहीं, बल्कि अधिक व्यापक अर्थ रखता है. ‘सुघर’ का मतलब है जो मन को भाए, व्यवस्थित हो और देखने में अच्छा लगे. यह सुंदरता के साथ-साथ व्यवस्था और मनमोहकता का भी प्रतीक है. जैसे, “कतेक सुघर लागे”