रायपुर:- छत्तीसगढ़ में हाल ही में दुर्ग में दो नन की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर धर्मांतरण का मुद्दा गरमा गया है. सड़क से लेकर संसद तक इस मुद्दे की गूंज है. छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर सख्त कानून की मांग भी उठ ही है. सीएम साय ने आगामी विधानसभा सत्र के दौरान धर्मांतरण विधेयक पेश किए जाने का ऐलान भी किया है. वहीं विपक्ष का आरोप है कि धर्मांतरण भाजपा के लिए चुनाव जीतने का बड़ा हथियार है, इसलिए बीजेपी धर्मांतरण पर कोई कड़ा कानून नहीं चाहती.
बारिश के मौसम में धर्मांतरण का मुद्दा गर्माया: आइये पहले आपको बताते हैं कि धर्मांतरण को लेकर ताजा विवाद कब शुरू हुआ और कैसे छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली और केरल तक इस मुद्दे की गूंज है.
25 जुलाई, दुर्ग रेलवे स्टेशन से 2 नन गिरफ्तार : दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने केरल के दो कैथोलिक नन, एक युवक और तीन आदिवासी लड़कियों को घेरकर रोक लिया. नन पर आरोप लगाया गया कि वे आदिवासी लड़कियों को बहला-फुसलाकर आगरा ले जा रहे थे, जहां उनका धर्मांतरण करने की योजना थी. रेलवे स्टेशन पर हंगामे के बाद पुलिस ने धर्मांतरण और मानव तस्करी की धाराओं में केस दर्ज कर दोनों नन को जेल भेज दिया.
28 जुलाई, संसद भवन में प्रदर्शन : कैथोलिक नन की गिरफ्तारी का मुद्दा दिल्ली की संसद तक पहुंचा. संसद भवन में UDF के सांसदों ने प्रदर्शन किया. वहीं राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल ने भी इसका विरोध किया. लोक लेखा समिति के अध्यक्ष और सांसद केसी वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा. पत्र में कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे “गैरकानूनी हिरासत” बताया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की.
29 जुलाई, इंडिया गठबंधन के सांसद दुर्ग पहुंचे: दुर्ग जेल में बंद दो नन से मिलने इंडिया गठबंधन के सांसद छत्तीसगढ़ पहुंचे. केरल के विधायक रोजी एम जॉन, छत्तीसगढ़ कांग्रेस की सह प्रभारी जरिता लेतफलांग, कांग्रेस सांसद सप्तगिरी उल्का,केरल के नेता बेनी बेहनान, फ्रांसिस जॉर्ज, एनके प्रेमचंदन और कांग्रेस अल्पसंख्यक नेता अनिल ए थॉमस दुर्ग जेल पहुंचे और ननों से मुलाकात की.
29 जुलाई, सीपीआई नेताओं को ननों से मिलने से रोका: कांग्रेस डेलीगेशन के जेल में नन से मुलाकात के बाद सीपीआई का डेलीगेशन दुर्ग जेल पहुंचा. लेकिन उन्हें ननों से मुलाकात करने से रोक दिया गया. सीपीआई नेता वृंदा करात ने इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए इसे ननों की सार्वजनिक बेइज्जती बताया.
29 जुलाई, लोकसभा में कांग्रेस का स्थगन प्रस्ताव: 29 जुलाई को ही कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने लोकसभा में छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की “अवैध गिरफ्तारी और भीड़ हिंसा” पर चर्चा के लिए एक स्थगन प्रस्ताव पेश किया.
30 जुलाई, सीपीआई डेलीगेशन की ननों से मुलाकात: सीपीआई नेता वृंदा करात और प्रतिनिधिमंडल ने दुर्ग जेल में ननों से मुलाकात की. उन्होंने ननों को रिहा करने की मांग की. सीपीआई नेता एनी राजा ने आरोप लगाए कि ननों के साथ बर्बरता की गई है.
30 जुलाई, संसद के बाहर कांग्रेस का प्रदर्शन: ननों की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया और उनकी रिहाई की मांग की. वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई.
30 जुलाई, ननों की जमानत पर सुनवाई: दुर्ग में गिरफ्तार ननों की जमानत याचिका सेशन कोर्ट ने खारिज कर दी. जिसके बाद मामला NIA कोर्ट में भेजा गया.
31 जुलाई, अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सहित लेफ्ट के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की.
1 अगस्त, NIA कोर्ट में नन गिरफ्तारी का मुद्दा: बिलासपुर NIA कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनी और अपना फैसला सुरक्षित रखा.
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण: ननों की गिरफ्तारी के साथ ही एक बार फिर छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा उठा है. धर्मांतरण और धर्मांतरण को लेकर बनाये जा रहे कानून की चर्चा जोरों पर है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर क्या स्थिति है, कितने मामले दर्ज हैं, क्या धर्मांतरण के लिए विदेश से फंड आ रहा है या फिर यह सिर्फ राजनितिक मुद्दा है.
ननों की गिरफ्तारी और उससे उपजा राजनीतिक बवाल: दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो ननों की गिरफ्तारी ने धर्मांतरण मुद्दे को भड़काने का काम किया. सरकार इसे धर्मांतरण और मानव तस्करी से जोड़ रही है,वहीं ईसाई समाज इसे गुंडागर्दी और राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहा है. ईसाई फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने GRP थाने की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए पूरे थाने को सस्पेंड करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ननों और लड़कियों के साथ छेड़खानी भी हुई.
ईसाई समाज की तीखी प्रतिक्रिया: अरुण पन्नालाल ने साफ कहा “अगर हम धर्मांतरण करते तो आज पूरा देश ईसाई होता” उन्होंने आरोप लगाया कि बजरंग दल धर्मांतरण के नाम पर गुंडागर्दी कर रहा है.” उनका कहना है कि भारत में धर्मांतरण की प्रक्रिया वैध रूप से केवल कलेक्टर के जरिए ही हो सकती है, और बाकी सब गैरकानूनी है.
छत्तीसगढ़ में ईसाई आबादी, 4 लाख रजिस्टर्ड: ईसाई फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय की आबादी लगभग 18 लाख है. जिनमें से 4 लाख रजिस्टर्ड है.
रोमन कैथोलिक: 2.25 लाख
मेनलाइन प्रोटेस्टेंट चर्च: 1.25 लाख
क्रिश्चियन ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क-30-40 हजार
12 लाख ऐसे लोग है जो ईसाई समाज के अनुयाई है लेकिन इन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया है.