नई दिल्ली. पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर अच्छे संकेत दे रही है। इसके चलते भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम 10-14 रुपए तक घट सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल (ब्रेंट) की कीमत जनवरी से अब तक के निचले स्तर पर हैं। फिलहाल यह 83 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा है। वहीं अमेरिकी क्रूड के दाम भी 78 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं।9 महीने में डीजल और पेट्रोल के 30 डॉलर प्रति बैरल तक घटे दाम कच्चे तेल के दाम में बड़ी गिरावट का सीधा असर भारतीय रिफाइनरियों पर भी पड़ता है।
मार्च तक भारतीय रिफाइनरीज कच्चे तेल के एक बास्केट के लिए जहां 112.8 डॉलर खर्च करती थीं, वहीं अब उन्हें ये सिर्फ 83 डॉलर प्रति बैरल पड़ रहा है। इस हिसाब से रिफाइनिंग कंपनियों के लिए कच्चे तेल के दाम करीब 30 डॉलर प्रति बैरल तक घट चुके हैं। ऐसे में उम्मीद है कि पेट्रोलियम कंपनियां ये फायदा जनता को भी दे सकती हैं।क्यों 10 से 14 रुपए तक घट सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम?पेट्रोलियम मामलों से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर क्रूड में 1 डॉलर प्रति बैरल तक की कमी आती है तो रिफाइनिंग पर तेल कंपनियों को हर एक लीटर में करीब 45 पैसे की बचत होती है।
इस हिसाब से देखा जाए तो अगले कुछ महीनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 से 14 रुपए तक की कमी देखी जा सकती है। हालांकि, ये कटौती एक बार में होगी या फिर दो-तीन बार में इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता।पहली वजह ऑयल कंपनियों को बचतअभी देश में पेट्रोल-डीजल के जो दाम हैं, उसके मुताबिक क्रूड ऑयल का इंडियन बास्केट 85 डॉलर प्रति बैरल होना चाहिए। रिफाइनिंग कंपनियों को ये 83 डॉलर प्रति बैरल पड़ रहा है। इस हिसाब से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को हर एक बैरल पर करीब 245 रुपए बच रहे हैं।
दूसरी सबसे बड़ी वजह ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को अब घाटा नहींपेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कुछ दिनों पहले कहा था- ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर अब मुनाफा होने लगा है। हालांकि, डीजल पर अभी ऐसा नहीं है। बता दें कि उसके बाद से अब तक ब्रेंट क्रूड 10% तक सस्ता हो चुका है। ऐसे में उम्मीद है कि अब डीजल पर भी कंपनियों को किसी तरह का घाटा नहीं होगा।ब्रेंट क्रूड की कीमतें फिलहाल 81 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जिस तरह से इसकी कीमतें घट रही हैं, उसे देखते हुए लग रहा है कि आनेवाले समय में ये 70 डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसका सीधा फायदा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में देखने को मिल सकता है।