नई दिल्ली:- रत्न शास्त्र में हर व्यक्ति के लिए उसकी कुंडली के आधार पर अलग-अलग रत्नों का निर्धारण किया गया है। इस प्रकार से रत्न धारण करने से साधक को जीवन की कई बड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। तो चलिए जानते हैं कि कौन-से रत्न धारण करने से व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य जाग सकता है।फिरोजा रत्न एक आसमानी नीला या हरे नीले रंग का पत्थर होता है। यह सबसे प्राचीन रत्नों में से एक माना गया है। इसे माला व अंगूठी दोनों के रूप में धारण किया जाता है। माना जाता है कि इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति को बुद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इससे आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है और करियर में भी तरक्की के योग बनते हैं।
फिरोजा धारण करने के नियम
फिरोजा रत्न को बृहस्पतिवार, गुरुवार या फिर शनिवार के दिन शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए। रत्न शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, फिरोजा रत्न को चांदी या पंचधातु से बनी अंगूठी में धारण करना चाहिए। ये रत्न अधिकतम कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के द्वारा धारण करना बेहतर माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुखराज गुरु ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। यदि कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत हो तो व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में कुंडली में गुरु की स्थिति को मजबूत करने के लिए पुखराज रत्न धारण करना बेहतर माना जाता है।
पुखराज धारण करने के नियम
जब किसी जातक की कुंडली में गुरु 6, 8 और 12वें स्थान पर होता है तो पुखराज नहीं पहनना चाहिए। इससे व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, कुंडली में धनु लग्न या मीन लग्न है तो पुखराज धारण किया जा सकता है। पुखराज रत्न को चांदी या सोने की धातु में लगाकर तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए। इसे धारण करने के लिए गुरुवार का दिन सबसे अच्छा है।
