नई दिल्ली :- अगर आपका वजन आपकी हाइट के हिसाब से बहुत ज्यादा है तो आपको एक नहीं बल्कि कई गंभीर बीमारियों का खतरा है. डॉक्टरों के मुताबिक वजन बढ़ने से पाचन तंत्र की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जो मध्यम आयु वर्ग में लीवर कैंसर का कारण बन सकता है. बॉडी मास इंडेक्स (बीएमएस) की प्रत्येक अतिरिक्त यूनिट से पेट या लीवर में ट्यूमर डेवलप होने का खतरा 13 फीसदी बढ़ जाता है. वहीं फूड पाइप कैंसर और पैन्क्रियाटिक कैंसर की संभावना भी 10 और 6 फीसदी बढ़ जाती है.
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. आशीष का कहना है कि लिवर शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है. यह पेट के दाईं ओर पसलियों के पीछे स्थित होता है. लिवर के दो भाग होते हैं. लिवर कई ऐसे काम करता है जो आपको हेल्दी रखते हैं. यह खून से हार्मफुल एलिमेंट को बाहर निकालने का काम करता है. यह एंजाइम और पित्त भी बनाता है जो भोजन को पचाने में मदद करता है. लिवर खराब होने के कई कारण हैं, जिसमें स्मोकिंग, शराब की लत, मोटापा, अनियमित जीवनशैली, खान-पान संबंधी डिसऑर्डर आदि शामिल हैं.
कैंसर विशेषज्ञ डॉ. आशीष सिंघल ने बताया कि लिवर कैंसर किसी भी अन्य प्रकार के कैंसर से होने वाली मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. अगर आप लिवर कैंसर से बचना चाहते हैं तो अपने आहार में विटामिन-ई की मात्रा अधिक शामिल करें. विटामिन-ई का अधिक सेवन करने से लिवर कैंसर से काफी हद तक बचा जा सकता है. इसके लिए आपको विटामिन E सप्लीमेंट के साथ-साथ विटामिन- E युक्त आहार का सेवन करना चाहिए. योग और व्यायाम करें ताकि वजन सीमित रहे.
लीवर कैंसर के लक्षण
उल्टी
पेट फूलना
पेट में तरल या मतली
थकान
भूख न लगना
खुजली
पीली त्वचा
आंखें
वजन बढ़ना (मोटापा) या घट जाना
ध्यान देने वाली बात
इसके साथ ही डॉ. आशीष बताते हैं कि शौचालय में जाने पर लिवर कैंसर के दो लक्षण दिखाई दे सकते हैं पीला या चाक जैसा मल और गहरे रंग का पेशाब. मल त्याग और मूत्र के रंग में ये परिवर्तन लिवर की खराबी और लीवर कैंसर का संकेत हो सकते हैं.
मल के रंग में बदलाव:
दरअसल, लीवर पित्त (bile) का उत्पादन करता है, जो फैट को पचाने में मदद करता है और मल को उसका सामान्य भूरा रंग देता है. यदि लिवर का कार्य बाधित है (ट्यूमर या पित्त नली की रुकावट के कारण), तो पित्त का प्रवाह कम या ब्लॉक हो सकता है, जिससे मल पीला, भूरा या मिट्टी के रंग का हो सकता है.
गहरे रंग का मूत्र
जब लिवर डैमेज हो जाता है, तो बिलीरुबिन (एक पीला रंगद्रव्य जो आमतौर पर लीवर द्वारा संसाधित होता है) खून में जमा हो जाता है. किडनी इस अतिरिक्त बिलीरुबिन को बाहर निकालने की कोशिश करते हैं, जिससे गहरे भूरे या चाय के रंग का मूत्र निकलता है. यह पीलिया का संकेत भी हो सकता है, जो तब होता है जब लिवर का कार्य काफी प्रभावित होता है. लिवर कैंसर या अन्य गंभीर लिवर की स्थिति भी इस प्रभाव का कारण बन सकती है.