तिरुवनंतपुरम, 11 फरवरी । दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी के बीच कलियुग के दुष्परिणामों को कम करने के वास्ते देवी काली को प्रसन्न करने के लिए वेदों में उल्लिखित 4,000 वर्ष पुराने 10 दिवसीय महाकालिका यज्ञ का आयोजन इस साल सात मई से यहां शुरू किया जाएगा।
मंदिर के न्यासी भुवन चंद्रन ने शुक्रवार को बताया कि पूर्णामिक्कावु मंदिर में देश भर के 51 शक्तिपीठों के मुख्य पुजारियों की उपस्थिति में अत्यंत दुर्लभ ‘महाकालिका यज्ञ’ किया जायेगा, जिसमें 303 दुर्लभ आयुर्वेदिक औषधीय पौधों और 10,000 किलो घी की आहुति दी जायेगी।
दक्षिण भारतीय राज्यों से दुर्लभ आयुर्वेदिक औषधीय पौधों को इकट्ठा करने के लिए 100 से अधिक लोगों को काम पर लगाया गया है और यज्ञ में आहुति देने के लिए देश भर के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों से पवित्र सामग्री लायी जाएगी। उन्होंने कहा कि काशी के 1008 महामंडलेश्वर प्रमुख काशी के कैलाशपुरी के नेतृत्व में 100 से अधिक अघोरी यज्ञ में शामिल होंगे। यह यज्ञ करने के लिए 12,000 ईंटों से तीन हवन कुंड बनाये गये हैं।
श्री चंद्रन ने बताया कि महा कालिका यज्ञ पूर्णमिक्कावु मंदिर में आयोजित किया जाएगा, जहां देश में पहली बार 51 ऐसी देवियों को स्थापित किया गया है, जिनके नाम मलयालम भाषा के 51 अक्षरों पर रखे गये हैं।