नई दिल्ली:– सीएनबीसी ने विस्तार से इस पर जानकारी देते हुए बताया कि चाइना शॉक से इस बार महंगाई कम हो सकती है. मतलब आम आदमी को सीधा फायदा होगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुनियाभर में एक बार फिर से ‘चाइना शॉक’ का खतरा मंडरा रहा है. लेकिन इस बार इसका असर थोड़ा अलग है— जहां एक तरफ लोकल इंडस्ट्रीज को नुकसान हो सकता है, वहीं दूसरी तरफ आम लोगों को महंगाई से कुछ राहत मिल सकती है.
क्या है ‘चाइना शॉक’?‘चाइना शॉक’ शब्द का मतलब है— चीन से बड़ी मात्रा में सस्ते उत्पादों की दुनिया भर में बाढ़ आना, जिससे-लोकल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को झटका लगता है.लेकिन उपभोक्ताओं के लिए चीजें सस्ती हो जाती हैं.महंगाई दर कम होती है.
1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में भी ऐसा हुआ था, जब चीन के सस्ते सामानों ने दुनिया भर की इंडस्ट्री पर असर डाला था.
इस बार क्या बदला है-सिंगापुर जैसे देशों में चीन के माल पर 70% तक की छूट मिल सकती है. चीन में घरेलू मांग कमजोर, कंपनियां स्टॉक निकालने को मजबूर है. चीन का फोकस अब एक्सपोर्ट बढ़ाने पर है, जिससे बाकी देशों में सस्ते माल की भरमार हो रही है
कौन-कौन से देशों पर होगा असर- जिन देशों में मैन्युफैक्चरिंग कम है, वहाँ सस्ते चीनी सामान से महंगाई में राहत मिल सकती है — जैसे:-ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, फिलीपींस, भारत पर होगा.
लेकिन लोकल कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा — इसलिए कई देश प्रोटेक्शन ड्यूटी (एंटी-डंपिंग टैक्स) लगा रहे हैं.
RBI और अन्य सेंट्रल बैंक क्या करेंगे? महंगाई घटने से RBI समेत एशियाई बैंक और रेट कट कर सकते हैं.
Nomura की रिपोर्ट बताती हैं कि थाईलैंड, फिलीपींस में ब्याज दरें 0.75 फीसदी तक कम हो सकती है. इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया में ब्याज दरें 0.5 फीसदी तक घट सकती हैं.
दक्षिण कोरिया में 0.25 फीसदी तक गिर सकती है.
भारत पर असर क्या होगा-सस्ती चीनी वस्तुओं से महंगाई घट सकती है, जो फिलहाल RBI के 4% के लक्ष्य से भी नीचे चल रही है.इससे होम लोन, ऑटो लोन और बिजनेस लोन और सस्ते हो सकते हैं.
लेकिन लोकल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज, खासकर स्टील, टेक्सटाइल और केमिकल्स सेक्टर, पर दबाव बन सकता है
चाइना शॉक का यह नया दौर एक दोधारी तलवार है-जहां, आम उपभोक्ताओं को राहत और केंद्र बैंकों को मौद्रिक नीति में ढील का मौका मिल सकता है, वहीं स्थानीय उत्पादन और रोज़गार के लिए खतरे की घंटी भी है.