रायपुर: आपने गुरु और शिष्य के बहुत से किस्से सुने होंगे। पढ़ाने और समझाने के अलग अलग तरीके देखे होंगे। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी टीचर से मिलवाएंगे, जिनके लिए छोटे बच्चों को पढ़ाना किसी मिशन से कम नहीं है। रायपुर के रामनगर स्थित शासकीय गोकुल राम वर्मा प्राथमिक शाला की ये टीचर अपने पढ़ाई के तरीके को लेकर काफी चर्चा में हैं।
दरअसल चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि उनके पढ़ाने का तरीका ना सिर्फ अनोखा है बल्कि उनकी इस पहल से बच्चों की पढ़ाई में सुधार भी आया है। बच्चे पढ़ाई के साथ अनुशासन भी सीख रहे हैं। स्कूली बच्चों की मनोदशा और उनके मानसिक स्तर को समझकर यदि शिक्षक कक्षा में कोई विषय पढ़ाते हैं, तो वह सीधे बच्चों के दिमाग में उतर जाता है।
रायपुर के रामनगर स्थित शासकीय स्कूल की शिक्षिका जान्हवी यदु ने बच्चो को पढ़ाने के लिए खुद बच्चो इस रूप धारण कर लिया यानी उन्होंने बच्चो की तरह ही स्कूल ड्रेस में स्कूल पहुंचना शुरू किया और बच्चो को यूनिफॉर्म पहनकर ही पढ़ाना शुरू किया। शिक्षक को स्कूल ड्रेस में देखकर बच्चे बहुत खुश हुए और उन्हें नए रूप में देखकर बच्चे पढ़ाई में और अधिक उत्साह दिखाने लगे। बच्चों को लगा कि शिक्षक उनके अच्छे मित्र और मार्गदर्शक हैं।
बच्चों को बेहतर शिक्षा देने और उनमें अनुशासन की भावना पैदा करने के उद्देश्य से शिक्षिका जान्हवी यदु ने स्कूली बच्चों की तरह स्कूल ड्रेस पहनकर आना शुरू किया। इससे ऐसे छात्र जो यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल नहीं आते थे, वे बच्चे यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल आने लगे। शिक्षिका जान्हवी बताती हैं कि पहले तो इस उद्देश्य के साथ यूनिफॉर्म पहना था कि बच्चे यूनिफॉर्म में स्कूल आएं उसके बाद जब पढ़ाना शुरू किया तो देखा कि कक्षा में पढ़ाई जा रही विषय वस्तु को बच्चे और बेहतर समझने लगे हैं।
जान्हवी का कहना है कि शिक्षक स्कूली बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत होते हैं। शिक्षकों को देखकर ही बच्चों में अनुशासन विकसित होता है। यदि शिक्षक स्कूल के नियमों का सही ढंग से पालन करते हैं तो बच्चे भी उनका पालन करते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने नए गेटअप में स्कूल आना शुरू किया तो कई दिलचस्प अनुभव भी हुए।
